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शुभ प्रभात मित्रो ©लेखक 01Chauhan1

#कविता  शुभ प्रभात मित्रो

©लेखक       01Chauhan1

ख्वाब में तुम आएं कल

16 Love

क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था,
जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था।

वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी,
वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था।

तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना,
वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था।

रात में जो था नवनीत कभी अधूरा,
वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह

17 Love

White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा? जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से, वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा? जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू, वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा? जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी, वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा? जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर, वो औरों को ख्वाब क्या देगा? ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

12 Love

शुभ प्रभात मित्रो ©लेखक 01Chauhan1

#कविता  शुभ प्रभात मित्रो

©लेखक       01Chauhan1

ख्वाब में तुम आएं कल

16 Love

क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था,
जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था।

वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी,
वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था।

तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना,
वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था।

रात में जो था नवनीत कभी अधूरा,
वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह

17 Love

White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा? जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से, वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा? जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू, वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा? जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी, वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा? जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर, वो औरों को ख्वाब क्या देगा? ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  White जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब,
वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा?

जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे,
वो मेरी हसरतों को राहत क्या देगा?

जो खुद को न पा सका कभी सच्चाई से,
वो किसी और की तलाश को प्यास क्या देगा?

जो रातों को जागकर कभी सच्चाई से नहीं हुआ रूबरू,
वो उजालों में ख्वाब को रोशनी क्या देगा?

जो खुद में रुकावट नहीं मिटा सका, कभी,
वो किसी और की मंज़िलों में दरवाज़ा क्या देगा?

जो खुद को समझ नहीं सका, कभी खुल कर,
वो औरों को ख्वाब क्या देगा?

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो छू न सका हवा को, कोई क़ामिल ख्वाब, वो दिल की वीरानियों में रौनक़ क्या देगा? जो दर्द में डूबा न हो कभी गहरे, वो मेरी हसरतों

12 Love

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