" गीत "
तुम नहीं तो मेरे जीवन का, कोई अर्थ है सजना।
दुनियां हो तुम मेरी, बिन तेरे मैं व्यर्थ हूं सजना।
मेरे हर लब्जों में तुम हो, मेरे हर गीतों में तुम हो।
गुनगुनाती रहती हूं जैसे, कल कल बहता हो झरना।
तुम्ही हो सार जीवन का, तुम्हीं आधार जीवन का।
तुम्ही पतवार, जीवन भव से, तेरे साथ ही तरना।
मेरी तो जान तुम ही हो, मेरी पहचान तुमसे ही।
समर्पण कर दिया खुद का, हमें अब और क्या करना।
तुम्ही थे स्वप्न मेरे, अब हकीकत बन गए हो तुम।
खोल हिरदय की पिचकारी, तेरे रंग में रंगना।
तुम हो सागर मतवाले, मैं हूं नदी विरहनी सी।
बह के आ गई हूं पास अब तो तुझ में ही घुलना।
Kalpana tomar
©Kalpana Tomar
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