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 संवेदना ......

संवेदना..... #Life #Thoughts #Empathy #Motivational #motivatation #motivating #lifecoach

126 View

White सब कुछ व्यर्थ है फिर भी जीवन के बहुत गहरे अर्थ है। ©Drjagriti

#कोट्स #अर्थ  White सब कुछ व्यर्थ है फिर
 भी जीवन के बहुत गहरे अर्थ है।

©Drjagriti

#अर्थ मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

15 Love

अर्थ के अनर्थ होने के बाद क्या रह जाता है... सार्थक होने को..... ©Saba Rasheed

#सार्थक #अनर्थ #अर्थ #nojotohindi #HindiQuote #Quotes  अर्थ के अनर्थ होने के बाद
क्या रह जाता है...
सार्थक होने को.....

©Saba Rasheed
#कविता #nojotohindi #good_night  White पल्लव की डायरी
बहती गंगा अगर विकास की
कुछ छीटे और लहर हम तक भी आती
गारंटियों में कुछ सुगबुगाहट होती
तो राहत बजट में आती
परमात्मा की अगर प्ररेणा तुझ में होती
तो बुलजोडरो से मानवता शर्मशार ना होती
करुणा दया संवेदना अगर झकझोरती तो
हिंसक प्रयोजन की पराकाष्ठा ना होती
हक युवाओ और गरीबो के ना मरते
जुमलो और कड़वी दवाओं के
रिएक्शन जनता में ना होते
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#good_night करुणा दया संवेदना अगर झकझोरती तो #nojotohindi

279 View

नजारे , नजरो के सामने कई नजर आते है , कमबख्त नजर बस तेरी नजर को तरस जाती है । ऐसी लगी नजर जमाने की , तेरी याद तो आती है , लेकिन तू नजर नहीं आती है । ©Lõkêsh

 नजारे , नजरो के सामने कई नजर आते है , कमबख्त नजर बस तेरी नजर को तरस जाती है । ऐसी लगी नजर जमाने की , तेरी याद तो आती है , लेकिन तू नजर नहीं आती है ।

©Lõkêsh

नजर , शब्द एक अर्थ अनेक 😂

12 Love

White उम्र‌ सारी बीत गई यही बात बताने में, कितनों को बली चढ़ा दिया ठाठ दिखाने में। पड़ोस की लाली भी हमेशा उदास रहती थी, क्या कोई कदम बढ़ाया था उसको बचाने में। कितनी बेटियां बची होती बर्बाद भी न होती, कदम से कदम तो मिलाया होता साथ आने में। राक्षसी हो गई है प्रवृत्ति जाने क्यों इंसान की, काश किसी ने तो‌‌ प्रयत्न‌ किया होता राम बनाने में। भेड़ चाल है सब मुझको दिखावा लग रहा है, पगडंडी पर चल रहे समूहो‌ का छलावा लग रहा है। किया होता जत्न‌ तो कोई चिरईया शहीद न हो पाती, इतनी जागरूकता दिखाई होती कानून सख्त बनवाने में। पहले पहल तो सब कुछ लिपकर छुपा दिया जाता है, फिर नाप तोलकर समय लगता है सुर्खियां बनाने में। आवाम इंतजार करती है देखती है मिजाज हवाओं का, फिर भरती है दम्भ एक एक कर हाजिरी लगाने में। काश कि निकले हैं सड़कों पर तो कुछ तो फिजा़ बदले, इंसाफ सभी को मिलेगा बस कुछ अपनी नियत बदलें। हर जुर्म करने वाले को सजा का खौफ होना चाहिए, आओ अब भिड ही जाएं सजा खौफनाक बनवाने में। रूह भी कांप उठेगी कई बार मुजरिम को डराएगी, फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी। फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी..prk ©प्रदीप राज खींची

#SAD  White उम्र‌ सारी बीत गई यही बात बताने में,
कितनों को बली चढ़ा दिया ठाठ दिखाने में।
पड़ोस की लाली भी हमेशा उदास रहती थी,
क्या कोई कदम बढ़ाया था उसको बचाने में।
कितनी बेटियां बची होती बर्बाद भी न होती,
कदम से कदम तो मिलाया होता साथ आने में।
राक्षसी हो गई है प्रवृत्ति जाने क्यों इंसान की,
काश किसी ने तो‌‌ प्रयत्न‌ किया होता राम बनाने में।
भेड़ चाल है सब मुझको दिखावा लग रहा है,
पगडंडी पर चल रहे समूहो‌ का छलावा लग रहा है।
किया होता जत्न‌ तो कोई चिरईया शहीद न हो पाती,
इतनी जागरूकता दिखाई होती कानून सख्त बनवाने में।
पहले पहल तो सब कुछ लिपकर छुपा दिया जाता है,
फिर नाप तोलकर समय लगता है सुर्खियां बनाने में।
आवाम इंतजार करती है देखती है मिजाज हवाओं का,
फिर भरती है दम्भ एक एक कर हाजिरी लगाने में।
काश कि निकले हैं सड़कों पर तो कुछ तो फिजा़ बदले,
इंसाफ सभी को मिलेगा बस कुछ अपनी नियत बदलें।
हर जुर्म करने वाले को सजा का खौफ होना चाहिए,
आओ अब भिड ही जाएं सजा खौफनाक बनवाने में।
रूह भी कांप उठेगी कई बार मुजरिम को डराएगी,
फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी।
फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी..prk

©प्रदीप राज खींची

संवेदना #

10 Love

 संवेदना ......

संवेदना..... #Life #Thoughts #Empathy #Motivational #motivatation #motivating #lifecoach

126 View

White सब कुछ व्यर्थ है फिर भी जीवन के बहुत गहरे अर्थ है। ©Drjagriti

#कोट्स #अर्थ  White सब कुछ व्यर्थ है फिर
 भी जीवन के बहुत गहरे अर्थ है।

©Drjagriti

#अर्थ मोटिवेशनल कोट्स हिंदी

15 Love

अर्थ के अनर्थ होने के बाद क्या रह जाता है... सार्थक होने को..... ©Saba Rasheed

#सार्थक #अनर्थ #अर्थ #nojotohindi #HindiQuote #Quotes  अर्थ के अनर्थ होने के बाद
क्या रह जाता है...
सार्थक होने को.....

©Saba Rasheed
#कविता #nojotohindi #good_night  White पल्लव की डायरी
बहती गंगा अगर विकास की
कुछ छीटे और लहर हम तक भी आती
गारंटियों में कुछ सुगबुगाहट होती
तो राहत बजट में आती
परमात्मा की अगर प्ररेणा तुझ में होती
तो बुलजोडरो से मानवता शर्मशार ना होती
करुणा दया संवेदना अगर झकझोरती तो
हिंसक प्रयोजन की पराकाष्ठा ना होती
हक युवाओ और गरीबो के ना मरते
जुमलो और कड़वी दवाओं के
रिएक्शन जनता में ना होते
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#good_night करुणा दया संवेदना अगर झकझोरती तो #nojotohindi

279 View

नजारे , नजरो के सामने कई नजर आते है , कमबख्त नजर बस तेरी नजर को तरस जाती है । ऐसी लगी नजर जमाने की , तेरी याद तो आती है , लेकिन तू नजर नहीं आती है । ©Lõkêsh

 नजारे , नजरो के सामने कई नजर आते है , कमबख्त नजर बस तेरी नजर को तरस जाती है । ऐसी लगी नजर जमाने की , तेरी याद तो आती है , लेकिन तू नजर नहीं आती है ।

©Lõkêsh

नजर , शब्द एक अर्थ अनेक 😂

12 Love

White उम्र‌ सारी बीत गई यही बात बताने में, कितनों को बली चढ़ा दिया ठाठ दिखाने में। पड़ोस की लाली भी हमेशा उदास रहती थी, क्या कोई कदम बढ़ाया था उसको बचाने में। कितनी बेटियां बची होती बर्बाद भी न होती, कदम से कदम तो मिलाया होता साथ आने में। राक्षसी हो गई है प्रवृत्ति जाने क्यों इंसान की, काश किसी ने तो‌‌ प्रयत्न‌ किया होता राम बनाने में। भेड़ चाल है सब मुझको दिखावा लग रहा है, पगडंडी पर चल रहे समूहो‌ का छलावा लग रहा है। किया होता जत्न‌ तो कोई चिरईया शहीद न हो पाती, इतनी जागरूकता दिखाई होती कानून सख्त बनवाने में। पहले पहल तो सब कुछ लिपकर छुपा दिया जाता है, फिर नाप तोलकर समय लगता है सुर्खियां बनाने में। आवाम इंतजार करती है देखती है मिजाज हवाओं का, फिर भरती है दम्भ एक एक कर हाजिरी लगाने में। काश कि निकले हैं सड़कों पर तो कुछ तो फिजा़ बदले, इंसाफ सभी को मिलेगा बस कुछ अपनी नियत बदलें। हर जुर्म करने वाले को सजा का खौफ होना चाहिए, आओ अब भिड ही जाएं सजा खौफनाक बनवाने में। रूह भी कांप उठेगी कई बार मुजरिम को डराएगी, फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी। फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी..prk ©प्रदीप राज खींची

#SAD  White उम्र‌ सारी बीत गई यही बात बताने में,
कितनों को बली चढ़ा दिया ठाठ दिखाने में।
पड़ोस की लाली भी हमेशा उदास रहती थी,
क्या कोई कदम बढ़ाया था उसको बचाने में।
कितनी बेटियां बची होती बर्बाद भी न होती,
कदम से कदम तो मिलाया होता साथ आने में।
राक्षसी हो गई है प्रवृत्ति जाने क्यों इंसान की,
काश किसी ने तो‌‌ प्रयत्न‌ किया होता राम बनाने में।
भेड़ चाल है सब मुझको दिखावा लग रहा है,
पगडंडी पर चल रहे समूहो‌ का छलावा लग रहा है।
किया होता जत्न‌ तो कोई चिरईया शहीद न हो पाती,
इतनी जागरूकता दिखाई होती कानून सख्त बनवाने में।
पहले पहल तो सब कुछ लिपकर छुपा दिया जाता है,
फिर नाप तोलकर समय लगता है सुर्खियां बनाने में।
आवाम इंतजार करती है देखती है मिजाज हवाओं का,
फिर भरती है दम्भ एक एक कर हाजिरी लगाने में।
काश कि निकले हैं सड़कों पर तो कुछ तो फिजा़ बदले,
इंसाफ सभी को मिलेगा बस कुछ अपनी नियत बदलें।
हर जुर्म करने वाले को सजा का खौफ होना चाहिए,
आओ अब भिड ही जाएं सजा खौफनाक बनवाने में।
रूह भी कांप उठेगी कई बार मुजरिम को डराएगी,
फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी।
फिर न ही कोई 'निर्भया'आशिफा' या 'मौमिता' हो पाएगी..prk

©प्रदीप राज खींची

संवेदना #

10 Love

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