करवट-करवट गुज़रीं मेरी रातें हैं
तन्हाई है आँसू हैं और यादें हैं
सारे मौसम होके पतझड़ रूठे हैं
बिछड़े हैं, पर जीते हैं, हम झूठे हैं
परदेसी मेरे यारा लौटके आना
मुझे याद रखना कहीं भूल न जाना
परदेसी...परदेसी... जाना नहीं...
मुझे छोड़के... मुझे छोड़के...
वादे टूटे सपने टूटे दिल टूटा
प्यार में मेरे यार ने मुझको यूँ लूटा
टुकड़े दिलके गिरते-पड़ते चुनता हूँ
पागल होके फिरता हूँ, सर धुनता हूँ
परदेसी मेरे यारा मुझे न रुलाना
तुम याद रखना,कहीं भूल न जाना
परदेसी... परदेसी... जाना नहीं
मुझे छोड़ के...मुझे छोड़ के...
आती-जाती साँसों में मैं जलता हूँ
ख़ुद से इतना तंग हूँ ख़ुद को ख़लता हूँ
दर्द हूँ, ख़ुद के दिल में ख़ुद ही बोया हूँ
जब से सपना टूटा है कब सोया हूँ!
परदेसी मेरे यारा... गुज़रा ज़माना...
उसे याद रखना.… कहीं भूल न जाना...
परदेसी... परदेसी... जाना नहीं
मुझे छोड़ के...मुझे छोड़ के..
★मूल गीत― समीर अंजान
©Ghumnam Gautam
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here