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White जिन्दगी जीने का मजा तो आपसे मांगे हुए सिक्कों से था, “पापा” हमारी कमाई से तो ज़रूरतें भी पूरी नहीं होती। ©angel rai

#sad_qoute  White जिन्दगी जीने का मजा तो आपसे मांगे हुए सिक्कों से था,
“पापा” हमारी कमाई से तो ज़रूरतें भी पूरी नहीं होती।

©angel rai
#शायरी #कविता #मनु

#मनु #Love #Life #शायरी #Shayari #कविता

216 View

#शायरी #मनु

#मनु #Love #Shayari #शायरी #Life

180 View

#विचार  White स्त्री का दर्जा समाज में भले ही कम हो पर पुरुष को बल और सहयोग स्त्री से ही मिलता है इस प्रकार दोनों को ही बराबर महत्व देना स्वीकार्य होना चाहिए।

©Satish Kumar Meena

स्त्री और पुरुष

117 View

#मोटिवेशनल #Paris_Olympics_2024 #भाकर #मनु  White ये जीत तुम्हारी न्यारी है।
जो सब पर पड़ती भारी है।
इस जज्बे ने बता दिया,
ये छोरी न्यारी म्हारी है।

©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ

#पुरुष  White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है
तुम थोड़ा सा "प्यार_देना"
—————————————————————
पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ।
मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।"
पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।"

जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता
सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता।
क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।"

मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से
थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में
बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना"

अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष
पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना"

बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ
दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम
उदास देखना,तो बिना सवाल
अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना

सब ठीक हो जाएगा
क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना"

©पूर्वार्थ

White जिन्दगी जीने का मजा तो आपसे मांगे हुए सिक्कों से था, “पापा” हमारी कमाई से तो ज़रूरतें भी पूरी नहीं होती। ©angel rai

#sad_qoute  White जिन्दगी जीने का मजा तो आपसे मांगे हुए सिक्कों से था,
“पापा” हमारी कमाई से तो ज़रूरतें भी पूरी नहीं होती।

©angel rai
#शायरी #कविता #मनु

#मनु #Love #Life #शायरी #Shayari #कविता

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#शायरी #मनु

#मनु #Love #Shayari #शायरी #Life

180 View

#विचार  White स्त्री का दर्जा समाज में भले ही कम हो पर पुरुष को बल और सहयोग स्त्री से ही मिलता है इस प्रकार दोनों को ही बराबर महत्व देना स्वीकार्य होना चाहिए।

©Satish Kumar Meena

स्त्री और पुरुष

117 View

#मोटिवेशनल #Paris_Olympics_2024 #भाकर #मनु  White ये जीत तुम्हारी न्यारी है।
जो सब पर पड़ती भारी है।
इस जज्बे ने बता दिया,
ये छोरी न्यारी म्हारी है।

©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal

White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ

#पुरुष  White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है
तुम थोड़ा सा "प्यार_देना"
—————————————————————
पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ।
मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।"
पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।"

जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता
सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता।
क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।"

मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से
थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में
बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना"

अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष
पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना"

बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ
दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम
उदास देखना,तो बिना सवाल
अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना

सब ठीक हो जाएगा
क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना"

©पूर्वार्थ
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