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23-12-2024 बहोत ज़्यादा तलाशने के बाद मिला है , तब जाकर ज़िंदगी मुझें आबाद मिला है ! तुम भागते-फिरते रहो नौकरी-छोकरी के पीछे ,, मैं इसी में ख़ुश हूँ जो मुझें ज़ायदाद मिला है..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#मेरी #HumptyKavya  23-12-2024

बहोत ज़्यादा  तलाशने  के  बाद  मिला  है ,

तब  जाकर ज़िंदगी  मुझें  आबाद  मिला  है !

तुम भागते-फिरते रहो नौकरी-छोकरी के पीछे ,,

मैं  इसी में ख़ुश हूँ  जो मुझें ज़ायदाद  मिला  है..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#HumptyKavya #मेरी शायरी ही मेरी ज़िंदगी है

15 Love

कोई तो है जो सुन लेता है, सीप से मोती चुन लेता है, बेशक वो इन्कार न करता, मन ही मन में गुन लेता है, अपनी ही शर्तों पर चलकर, ख़ुद कपास को धुन लेता है, जीत गया जीवन की बाजी, खेत में भुट्टा भुन लेता है, भाग्य भरोसे नहीं बैठकर, फटी चादरें बुन लेता है, कठिनाई में बनकर रहबर, देकर दुआ सगुन लेता है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #कोई  कोई तो है जो सुन लेता है,
सीप से मोती  चुन लेता है,

बेशक वो इन्कार न करता,
मन ही मन में  गुन लेता है,

अपनी ही शर्तों पर चलकर,
ख़ुद कपास को धुन लेता है,

जीत गया जीवन की बाजी,
खेत में  भुट्टा  भुन  लेता है,

भाग्य  भरोसे नहीं बैठकर,
फटी  चादरें   बुन  लेता है,

कठिनाई में बनकर रहबर,
देकर दुआ  सगुन  लेता है,
 -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#कोई तो है जो#

11 Love

23-12-2024 बहोत ज़्यादा तलाशने के बाद मिला है , तब जाकर ज़िंदगी मुझें आबाद मिला है ! तुम भागते-फिरते रहो नौकरी-छोकरी के पीछे ,, मैं इसी में ख़ुश हूँ जो मुझें ज़ायदाद मिला है..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#मेरी #HumptyKavya  23-12-2024

बहोत ज़्यादा  तलाशने  के  बाद  मिला  है ,

तब  जाकर ज़िंदगी  मुझें  आबाद  मिला  है !

तुम भागते-फिरते रहो नौकरी-छोकरी के पीछे ,,

मैं  इसी में ख़ुश हूँ  जो मुझें ज़ायदाद  मिला  है..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#HumptyKavya #मेरी शायरी ही मेरी ज़िंदगी है

15 Love

कोई तो है जो सुन लेता है, सीप से मोती चुन लेता है, बेशक वो इन्कार न करता, मन ही मन में गुन लेता है, अपनी ही शर्तों पर चलकर, ख़ुद कपास को धुन लेता है, जीत गया जीवन की बाजी, खेत में भुट्टा भुन लेता है, भाग्य भरोसे नहीं बैठकर, फटी चादरें बुन लेता है, कठिनाई में बनकर रहबर, देकर दुआ सगुन लेता है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #कोई  कोई तो है जो सुन लेता है,
सीप से मोती  चुन लेता है,

बेशक वो इन्कार न करता,
मन ही मन में  गुन लेता है,

अपनी ही शर्तों पर चलकर,
ख़ुद कपास को धुन लेता है,

जीत गया जीवन की बाजी,
खेत में  भुट्टा  भुन  लेता है,

भाग्य  भरोसे नहीं बैठकर,
फटी  चादरें   बुन  लेता है,

कठिनाई में बनकर रहबर,
देकर दुआ  सगुन  लेता है,
 -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#कोई तो है जो#

11 Love

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