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New सजली अवघी धरती Status, Photo, Video

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White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा, नीली से धरती और अंबर है प्यारा। ©Pushpa Sharma "कृtt¥"

#नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #नज़ारा #कोट्स  White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा,
नीली से धरती और अंबर है प्यारा।

©Pushpa Sharma "कृtt¥"
#love_shayari  White पंच तत्व से बना हुआ अद्भुत यह संसार 
निर्झरिणी पर्वत तरु उदधि धरा का प्यार
फुर्सत में बैठो थोड़ा वक़्त बिता लो यार
चलो निहारें प्यारे सुंदर धरती के उपहार

©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार

153 View

गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं ©person

 गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी 
इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं 
हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं 
इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 
पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं

©person

🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस

15 Love

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

#हिन्दीकविता #स्वतंत्रता #happy_independence_day #हिन्दी #कविता #भारती  White तुम्हीं शूरवीर हो,तुम्हीं हो वीर साहसी
सुनो!दृढ़ प्रतिज्ञ बनो है भारती पुकारती
पवन समीर उज्ज्वला है जिसको बुहारती
मंदाकिनी चरण रज है जिसके पखारती

सुनो! तुमसे कह रही वो भारती...भारती
भले कटा लो शीश तुम ग्रीवा कभी झुके नहीं
पथ कंटकों की सेज हो मलिन न तेरा तेज हो
बढ़े चलो-बढ़े चलो तुम शूरवीर साहसी
स्वतंत्रता की ओज में,समय-समय की खोज में
बढ़े चलो बढ़े चलो, है भारती पुकारती
जब तक रक्त तेरा लाल है,लहू में उबाल है
बढ़े चलो बढ़े चलो स्वतंत्रता पुकारती

©Saba Rasheed

जयशंकर प्रसाद जी की कविता से प्रेरित❤️#hindikavita #happy_independence_day #स्वतंत्रता #समय #भारती भारत की धरती #रक्त #लहू #भारत #हिन्दी #ह

81 View

दुमदुमली पंढरी अवघी दुमदुमली पंढरी अवघी आले वारकरी हरीहरी घेऊनी तुळस डोई नाचत आले दारी तुझा महिमा अगाध मुखी नाम तुझेच विठ्ठला गर्दीतही होऊन‌‌ तल्लीन जीव‌ तव चरणी अर्पिला पहा चंद्रभागे तीरी‌ अंगणी पोहोचले वारकरी भरूनी आले डोळे पाहूनी तुझे रुप हरी हरी ना भान ना तहान कसली भक्तीरुपे भरीले पोट दर्शन देऊन लेकरांस सोड सुखरुप घरी..धरुनी बोट ✍️(निशा खरात/शिंदे) (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde

 दुमदुमली पंढरी अवघी

दुमदुमली पंढरी अवघी
आले वारकरी हरीहरी
घेऊनी तुळस डोई
नाचत आले दारी

तुझा महिमा अगाध 
मुखी नाम तुझेच विठ्ठला
गर्दीतही  होऊन‌‌ तल्लीन
जीव‌ तव चरणी अर्पिला

पहा चंद्रभागे तीरी‌ 
अंगणी पोहोचले वारकरी
भरूनी आले डोळे
पाहूनी तुझे रुप हरी हरी

ना भान ना तहान कसली
भक्तीरुपे भरीले पोट
दर्शन देऊन लेकरांस
सोड सुखरुप घरी..धरुनी बोट

✍️(निशा खरात/शिंदे)
      (काव्यनिश)

©nisha Kharatshinde

दुमदुमली पंढरी अवघी

12 Love

White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा, नीली से धरती और अंबर है प्यारा। ©Pushpa Sharma "कृtt¥"

#नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #नज़ारा #कोट्स  White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा,
नीली से धरती और अंबर है प्यारा।

©Pushpa Sharma "कृtt¥"
#love_shayari  White पंच तत्व से बना हुआ अद्भुत यह संसार 
निर्झरिणी पर्वत तरु उदधि धरा का प्यार
फुर्सत में बैठो थोड़ा वक़्त बिता लो यार
चलो निहारें प्यारे सुंदर धरती के उपहार

©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार

153 View

गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं ©person

 गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी 
इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं 
हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं 
इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 
पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं

©person

🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस

15 Love

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

#हिन्दीकविता #स्वतंत्रता #happy_independence_day #हिन्दी #कविता #भारती  White तुम्हीं शूरवीर हो,तुम्हीं हो वीर साहसी
सुनो!दृढ़ प्रतिज्ञ बनो है भारती पुकारती
पवन समीर उज्ज्वला है जिसको बुहारती
मंदाकिनी चरण रज है जिसके पखारती

सुनो! तुमसे कह रही वो भारती...भारती
भले कटा लो शीश तुम ग्रीवा कभी झुके नहीं
पथ कंटकों की सेज हो मलिन न तेरा तेज हो
बढ़े चलो-बढ़े चलो तुम शूरवीर साहसी
स्वतंत्रता की ओज में,समय-समय की खोज में
बढ़े चलो बढ़े चलो, है भारती पुकारती
जब तक रक्त तेरा लाल है,लहू में उबाल है
बढ़े चलो बढ़े चलो स्वतंत्रता पुकारती

©Saba Rasheed

जयशंकर प्रसाद जी की कविता से प्रेरित❤️#hindikavita #happy_independence_day #स्वतंत्रता #समय #भारती भारत की धरती #रक्त #लहू #भारत #हिन्दी #ह

81 View

दुमदुमली पंढरी अवघी दुमदुमली पंढरी अवघी आले वारकरी हरीहरी घेऊनी तुळस डोई नाचत आले दारी तुझा महिमा अगाध मुखी नाम तुझेच विठ्ठला गर्दीतही होऊन‌‌ तल्लीन जीव‌ तव चरणी अर्पिला पहा चंद्रभागे तीरी‌ अंगणी पोहोचले वारकरी भरूनी आले डोळे पाहूनी तुझे रुप हरी हरी ना भान ना तहान कसली भक्तीरुपे भरीले पोट दर्शन देऊन लेकरांस सोड सुखरुप घरी..धरुनी बोट ✍️(निशा खरात/शिंदे) (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde

 दुमदुमली पंढरी अवघी

दुमदुमली पंढरी अवघी
आले वारकरी हरीहरी
घेऊनी तुळस डोई
नाचत आले दारी

तुझा महिमा अगाध 
मुखी नाम तुझेच विठ्ठला
गर्दीतही  होऊन‌‌ तल्लीन
जीव‌ तव चरणी अर्पिला

पहा चंद्रभागे तीरी‌ 
अंगणी पोहोचले वारकरी
भरूनी आले डोळे
पाहूनी तुझे रुप हरी हरी

ना भान ना तहान कसली
भक्तीरुपे भरीले पोट
दर्शन देऊन लेकरांस
सोड सुखरुप घरी..धरुनी बोट

✍️(निशा खरात/शिंदे)
      (काव्यनिश)

©nisha Kharatshinde

दुमदुमली पंढरी अवघी

12 Love

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