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Unsplash यू आसान नहीं होता अलविदा कहना... पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है, मामूली दर्द में भी जिसको ढूंढती हो नजरें, फिर जब वही सबसे बड़ी पीड़ा बन जाती है, जब अपनों के बीच भी जो सबसे अपना हो, वो गैरों के बीच भी सबसे ज्यादा गैर लगने लगता है, तब जाकर कहीं अलविदा कहने की हिम्मत आती है। कितना मुश्किल होता होगा, दर्द से सुकून और सुकून से दर्द का सफर... शायद तभी तो यूँ आसान नही होता अलविदा कहना... ©Akram Qumar

#lovelife #लव  Unsplash यू आसान नहीं होता अलविदा कहना... 

पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है, मामूली दर्द में भी जिसको ढूंढती हो नजरें,  फिर जब वही सबसे बड़ी पीड़ा बन जाती है,

जब अपनों के बीच भी जो सबसे अपना हो, वो गैरों के बीच भी सबसे ज्यादा गैर लगने लगता है, तब जाकर कहीं अलविदा कहने की हिम्मत आती है।

कितना मुश्किल होता होगा, दर्द से सुकून और सुकून से दर्द का सफर...
शायद तभी तो यूँ आसान नही होता अलविदा कहना...

©Akram Qumar

#lovelife पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है,

15 Love

उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो। जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर, तेरे अंगों की महक में बिखेर दो। मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर, इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो। भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में, तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो। कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही, अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो। हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब, तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो। हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को, मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#शायरी #erotica  उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर,
इस सर्द दिसंबर को जून कर दो।
लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर,
मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो।

जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर,
तेरे अंगों की महक में बिखेर दो।
मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर,
इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो।

भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में,
तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो।
कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही,
अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो।

हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब,
तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो।
हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को,
मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग

14 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #स्पर्श #शायरी

#स्पर्श आप शब्दों को स्पर्श नहीं कर सकते पर आपके शब्द सभी को स्पर्श कर सकते हैं..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ १०/१२/२४

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Unsplash यू आसान नहीं होता अलविदा कहना... पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है, मामूली दर्द में भी जिसको ढूंढती हो नजरें, फिर जब वही सबसे बड़ी पीड़ा बन जाती है, जब अपनों के बीच भी जो सबसे अपना हो, वो गैरों के बीच भी सबसे ज्यादा गैर लगने लगता है, तब जाकर कहीं अलविदा कहने की हिम्मत आती है। कितना मुश्किल होता होगा, दर्द से सुकून और सुकून से दर्द का सफर... शायद तभी तो यूँ आसान नही होता अलविदा कहना... ©Akram Qumar

#lovelife #लव  Unsplash यू आसान नहीं होता अलविदा कहना... 

पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है, मामूली दर्द में भी जिसको ढूंढती हो नजरें,  फिर जब वही सबसे बड़ी पीड़ा बन जाती है,

जब अपनों के बीच भी जो सबसे अपना हो, वो गैरों के बीच भी सबसे ज्यादा गैर लगने लगता है, तब जाकर कहीं अलविदा कहने की हिम्मत आती है।

कितना मुश्किल होता होगा, दर्द से सुकून और सुकून से दर्द का सफर...
शायद तभी तो यूँ आसान नही होता अलविदा कहना...

©Akram Qumar

#lovelife पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है,

15 Love

उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो। जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर, तेरे अंगों की महक में बिखेर दो। मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर, इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो। भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में, तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो। कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही, अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो। हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब, तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो। हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को, मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो। ©theABHAYSINGH_BIPIN

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इस सर्द दिसंबर को जून कर दो।
लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर,
मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलगा दो।

जाग रहा है इश्क़ का कबूतर खत पर,
तेरे अंगों की महक में बिखेर दो।
मेरे होठों पे उकेर, अपनी सासों की लकीर,
इस रात को मुझे अपने बदन में बसा दो।

भड़क रही है आग तेरे बदन की लहरों में,
तेरी छुअन से हर नस को झुलसा दो।
कबसे क़ैद है इश्क़ का ये सिपाही,
अपने कोमल स्पर्श से आज़ाद कर दो।

हर सांस तेरे रिदम से बंधी है अब,
तेरे बदन की नर्म लकीरों में खो जाने दो।
हवाओं में मिलकर जलते हुए इन लम्हों को,
मेरी हर शरारत को ख़ुद में समा लो।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#erotica उतार दो अपने बदन की हरारत मुझ पर, इस सर्द दिसंबर को जून कर दो। लहू में बसा है अब तेरा शरारत का सफर, मेरे ख्वाबों को शोलों सा सुलग

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#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #स्पर्श #शायरी

#स्पर्श आप शब्दों को स्पर्श नहीं कर सकते पर आपके शब्द सभी को स्पर्श कर सकते हैं..🖊️ #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ १०/१२/२४

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