ईश्वर करे।
मेरा एक बेटा है,
करीब सात वर्ष कुल दो-एक माह का,
न जाने क्यों उसे मेरा सानिध्य कुछ कम ही प्राप्त होता है,
मिलने को उससे दिल ये मेरा भी खूब रोता है।
उसके कई प्रश्नों का उत्तर मेरे पास नहीं होता है,
उसके खुशियों के खातिर ये दिल दुआएं भी संज्योता है,
हँसी पे उसकि हार जाता है यह दिल,
हर्षित मन होकर भरता हूँ उसके खुशियों का जब बिल।
माँगे न कुछ बस साथ मेरा वह,
लाखों कि भीड़ में है खास मेरा वह,
ईश्वर करे खुशियों से लदा रहे उसके जीवन का हर टहना,
क्या सोना क्या चाँदी लुटा दूँ उसपर निज जीवन का हर एक गहना।
©Vinay Mishra
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