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#लव

कितना हक है मैरा

81 View

White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #ये  White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया,
हर इंसान अपने ही साए से जल गया।
इज्जत अब बस नामों तक रह गई है,
असलियत झूठ की चादर में ढह गई है।

जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे,
अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं।
हर ख्वाब जो आँखों में पलता था,
उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है।

मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा,
हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा।
ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी,
और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी।

©नवनीत ठाकुर

#ये दौर कितना बदल गया है

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White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी.. ©RAVI PRAKASH

#शायरी #Sad_Status  White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी..

©RAVI PRAKASH

#Sad_Status बचपन में कितना इंतज़ार

10 Love

White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी.. ©RAVI PRAKASH

#शायरी #sunset_time  White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी..

©RAVI PRAKASH

#sunset_time बचपन में कितना इंतज़ार था

13 Love

#लव

कितना हक है मैरा

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White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया, हर इंसान अपने ही साए से जल गया। इज्जत अब बस नामों तक रह गई है, असलियत झूठ की चादर में ढह गई है। जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे, अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं। हर ख्वाब जो आँखों में पलता था, उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है। मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा, हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा। ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी, और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #ये  White क्या कहें, ये दौर कितना बदल गया,
हर इंसान अपने ही साए से जल गया।
इज्जत अब बस नामों तक रह गई है,
असलियत झूठ की चादर में ढह गई है।

जो सपने कभी जमीर ने सजाए थे,
अब दौलत की ठोकर से मिटाए गए हैं।
हर ख्वाब जो आँखों में पलता था,
उसकी कीमत सिक्कों में लिखी गई है।

मगर ये सिलसिला ज्यादा नहीं चलेगा,
हर झूठ का नकाब एक दिन गिरेगा।
ईमान की चिंगारी फिर शोला बनेगी,
और सच्चाई हर अंधेरे को जलेगी।

©नवनीत ठाकुर

#ये दौर कितना बदल गया है

15 Love

White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी.. ©RAVI PRAKASH

#शायरी #Sad_Status  White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी..

©RAVI PRAKASH

#Sad_Status बचपन में कितना इंतज़ार

10 Love

White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी.. ©RAVI PRAKASH

#शायरी #sunset_time  White बचपन में कितना इंतज़ार था बड़े होने का पता नहीं था इस उम्र के आने तक ये उम्र ही काटने को दौड़ेगी..

©RAVI PRAKASH

#sunset_time बचपन में कितना इंतज़ार था

13 Love

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