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"हे भगवान, क्या कह रहे हो?"
हे भगवान, ये क्या कह रहे हो तुम?
धरती पर जाने का क्या सच है इस सोच में तुम्हारा छल?
मुझे एक कन्या बना कर भेज दिया तुमने,
पर क्या सही है यह सज़ा? क्या इससे मैं कुछ समझ सकूँगी?
जमीन पर पाँव रखने का डर क्यों है?
क्या मेरा अस्तित्व, वहाँ कुछ खो जाएगा?
क्या ज़िंदा रह पाऊँगी, संघर्षों का सामना कर?
क्या प्रेम और शांति ही वहां मेरा साथी होगा?
तेरा आदेश अधूरा सा लगता है,
यह सौगात क्या सच में एक सपना है?
वो दुनिया कैसी होगी, वहाँ मैं कौन होऊँगी?
तू ही बता, मुझे कैसे सिखाऊँगी खुद को फिर?
मेरे पंखों में ख़ुद को छिपाने का मन क्यों है?
क्या मुझे आसमान से उतार कर, धरती पर भेज कर तू ज़रा महसूस करेगा?
हे प्रभु, क्या मेरे होने से यह जगह बेहतर होगी?
मैं तो बस समझना चाहती हूँ, तू मुझे भेज क्यों रहा है इस राह पर।
— तेरी शक्ति, तेरा सत्य, मेरी जिजीविषा है,
अब खुद को ढ़ूंढकर जीवित रहना, teri ही दुआ है।
©Aayushi Patel
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