याद नहीं हूँ मुझे कब का पूरी नींद सोया हूँ
रात भर जागता हूँ,न जाने क्यूँ कहाँ खोया हूँ.!
उससे बिछड़ कर लाइलाज़ हो गया हूँ मैं अब
हकीम बेअसर है, मैं आज भी नहीं सोया हूँ.!
क़िससे कहूँ,क्या कहूँ,क्या हुआ है,पता नहीं
चाहता हूँ इक़ बार रूबरू,उसकी ख़ातिर रोया हूँ.!
बहुत ढूढ़ता हूँ ख़ुद में कमियाँ, क्या हुआ है
कोई बताये ठीक करलूँ,मैं उसी का गोया हूँ.!
बहुत बेचैन हूँ,बेसब्र हूँ आजकल मैं क्या करूँ
इक़ अरसा गुज़र गया,याद नहीं कब सोया हूँ.!
अब थक गया हूँ,इंतज़ार की इंतेहा हो गयीं
उसे मेरी कर या मौत देंदें मुझे,लगे की सोया हूँ.!!
©Shreyansh Gaurav
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