White पृथ्वी तू कितना झेल रही ना इंसानों को
क्या क्या अत्याचार नहीं कर रहे ये तेरी
सतह पर, खून की नदियाँ बहा रहे,क्रूर
से क्रूर क़ाम कर रहे और मंदिर, मस्जिद
गुरुद्वारे, चर्च भी बना रहे अपने पाप छुपा
रहे अपने भगवान अल्लाह जीसस, गुरु नानक
को खुश कर रहे बाकी झगड़ा
फसाद, राग द्वेष साथ साथ मे चल रहे
सिर्फ धर्म कर्म मे ही बटवारा नहीं, खान
पान, बिज़नेस, और भी विषयो पर फालतू
बहस कर रहे, pollution, बड़ा रहे धरती अम्बर
समुद्र मे, जनसंख्या खुद की बड़ा पशु पक्षी पर
अत्याचार अलग कर रहे, पाप की हदे पार कर
धर्मात्मा बन रहे,कब तक इन पापियों को ढोती
रहेगी तू पृथ्वी..... ये सोच सोच अश्व मेरे बह रहे 🥹
©puja udeshi
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