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White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में - कुण्डलिया - --------------------------------------- दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान। ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।। माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता। आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।। द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर। कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#कविता #moon_day  White   विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में
- कुण्डलिया -
---------------------------------------
दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान।
ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।।
माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता।
आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।।
द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर।
कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#moon_day हिंदी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

14 Love

White -दुमदार दोहा- समझ रहा हर आदमी, खुद को ही सुकरात। मुखपोथी की पोस्ट पर, सुने न कोई बात।। धुरंधर कई लिखाड़ी।। बात करते हैं आड़ी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #good_night  White  -दुमदार दोहा-

समझ रहा हर आदमी, खुद को ही सुकरात।
मुखपोथी की पोस्ट पर, सुने न कोई बात।।
धुरंधर कई लिखाड़ी।।
बात करते हैं आड़ी।।

- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#good_night हिंदी कविता हिंदी कविता

11 Love

29 सितंबर को "हृदय दिवस" पर एक - कुण्डलिया - अपना हृदय सँभालिए, हृदय दिवस है आज। हृदयहीन क्यों हो रहा, अब यह मनुज समाज।। अब यह मनुज समाज, हो गया भौतिकवादी। बढ़े हृदय के रोग, असाध्य और बेम्यादी।। हृदय रहें सब स्वस्थ, पूर्ण हो तब यह सपना। जब हों शुद्ध विचार, हृदय हो निर्मल अपना।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #WorldHeartDay  29 सितंबर को "हृदय दिवस" पर एक
- कुण्डलिया -

अपना हृदय सँभालिए, हृदय दिवस है आज।
हृदयहीन क्यों हो रहा, अब यह मनुज समाज।।
अब यह मनुज समाज, हो गया भौतिकवादी।
बढ़े हृदय के रोग, असाध्य और बेम्यादी।।
हृदय रहें सब स्वस्थ, पूर्ण हो तब यह सपना।
जब हों शुद्ध विचार, हृदय हो निर्मल अपना।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#WorldHeartDay हिंदी कविता हिंदी कविता

12 Love

#कविता #alone  मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है
 मौन हैं ये चश्म किंतु 
 वेदना का श्राप अनायास बह रहा है
✍🏻Rajnikant ojha

©mr.ojha

#alone हिंदी कविता हिंदी कविता

117 View

#पापा उंगली पकड़कर चलना सिखाया, कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया,  आप को पाकर लगता है ऐसा,  आपके रूप में प्रभु को है पाया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा,  पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa. Papa mere papa.. धूप में मेरी छाया बने हो,  मुसीबत में बने मेरा सहारा,  आपका जो मिला मुझे साथ,  निखिल फिर कभी नहीं हारा  आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa..  हर सपनों को मेरे पूरा है किया, जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया, आई जो मुझ पर कभी कोई आंच, उसको आप ने अपने सर है लिया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa.. ©शर्मा निखिल

#कविता #पापा #foryoupapa  #पापा 

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया, 
आप को पाकर लगता है ऐसा, 
आपके रूप में प्रभु को है पाया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा, 
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa.
Papa mere papa..

धूप में मेरी छाया बने हो, 
मुसीबत में बने मेरा सहारा, 
आपका जो मिला मुझे साथ, 
निखिल फिर कभी नहीं हारा 

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa.. 

हर सपनों को मेरे पूरा है किया,
जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया,
आई जो मुझ पर कभी कोई आंच,
उसको आप ने अपने सर है लिया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa..

©शर्मा निखिल

#foryoupapa हिंदी कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविता कोश

13 Love

हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना। ©Gobind Kumar

#कविता  हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना।

©Gobind Kumar

हिंदी कविता... हिंदी कविता

7 Love

White विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में - कुण्डलिया - --------------------------------------- दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान। ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।। माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता। आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।। द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर। कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।। -हरिओम श्रीवास्तव- ©Hariom Shrivastava

#कविता #moon_day  White   विश्व मुस्कान दिवस के उपलक्ष्य में
- कुण्डलिया -
---------------------------------------
दूभर होती जा रही, एक इंच मुस्कान।
ओढ़े  हैंं  गम्भीरता, माने मनुज महान।।
माने मनुज महान, हृदय में भरे कुटिलता।
आसपास है कौन, किसी से कभी न मिलता।।
द्वेष कपट छल दम्भ, पालकर मूते भूभर।
कैसा आया वक़्त, हुआ मुस्काना दूभर।।

-हरिओम श्रीवास्तव-

©Hariom Shrivastava

#moon_day हिंदी कविता हिंदी कविता हिंदी कविता

14 Love

White -दुमदार दोहा- समझ रहा हर आदमी, खुद को ही सुकरात। मुखपोथी की पोस्ट पर, सुने न कोई बात।। धुरंधर कई लिखाड़ी।। बात करते हैं आड़ी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #good_night  White  -दुमदार दोहा-

समझ रहा हर आदमी, खुद को ही सुकरात।
मुखपोथी की पोस्ट पर, सुने न कोई बात।।
धुरंधर कई लिखाड़ी।।
बात करते हैं आड़ी।।

- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#good_night हिंदी कविता हिंदी कविता

11 Love

29 सितंबर को "हृदय दिवस" पर एक - कुण्डलिया - अपना हृदय सँभालिए, हृदय दिवस है आज। हृदयहीन क्यों हो रहा, अब यह मनुज समाज।। अब यह मनुज समाज, हो गया भौतिकवादी। बढ़े हृदय के रोग, असाध्य और बेम्यादी।। हृदय रहें सब स्वस्थ, पूर्ण हो तब यह सपना। जब हों शुद्ध विचार, हृदय हो निर्मल अपना।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #WorldHeartDay  29 सितंबर को "हृदय दिवस" पर एक
- कुण्डलिया -

अपना हृदय सँभालिए, हृदय दिवस है आज।
हृदयहीन क्यों हो रहा, अब यह मनुज समाज।।
अब यह मनुज समाज, हो गया भौतिकवादी।
बढ़े हृदय के रोग, असाध्य और बेम्यादी।।
हृदय रहें सब स्वस्थ, पूर्ण हो तब यह सपना।
जब हों शुद्ध विचार, हृदय हो निर्मल अपना।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#WorldHeartDay हिंदी कविता हिंदी कविता

12 Love

#कविता #alone  मर्म उर में तृष्णा का संताप बढ़ रहा है
 मौन हैं ये चश्म किंतु 
 वेदना का श्राप अनायास बह रहा है
✍🏻Rajnikant ojha

©mr.ojha

#alone हिंदी कविता हिंदी कविता

117 View

#पापा उंगली पकड़कर चलना सिखाया, कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया,  आप को पाकर लगता है ऐसा,  आपके रूप में प्रभु को है पाया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा,  पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa. Papa mere papa.. धूप में मेरी छाया बने हो,  मुसीबत में बने मेरा सहारा,  आपका जो मिला मुझे साथ,  निखिल फिर कभी नहीं हारा  आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa..  हर सपनों को मेरे पूरा है किया, जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया, आई जो मुझ पर कभी कोई आंच, उसको आप ने अपने सर है लिया| आप ही तो मेरी जिंदगी हो, ओ मेरे पापा, पापा पापा मेरे पापा, Mere Papa.  Papa mere papa.. ©शर्मा निखिल

#कविता #पापा #foryoupapa  #पापा 

उंगली पकड़कर चलना सिखाया,
कंधे पर बैठा कर शहर है घुमाया, 
आप को पाकर लगता है ऐसा, 
आपके रूप में प्रभु को है पाया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा, 
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa.
Papa mere papa..

धूप में मेरी छाया बने हो, 
मुसीबत में बने मेरा सहारा, 
आपका जो मिला मुझे साथ, 
निखिल फिर कभी नहीं हारा 

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa.. 

हर सपनों को मेरे पूरा है किया,
जो चाहिए था बिन मांगे हैं दिया,
आई जो मुझ पर कभी कोई आंच,
उसको आप ने अपने सर है लिया|

आप ही तो मेरी जिंदगी हो,
ओ मेरे पापा,
पापा पापा मेरे पापा,
Mere Papa. 
Papa mere papa..

©शर्मा निखिल

#foryoupapa हिंदी कविता हिंदी कविता प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कविता कोश

13 Love

हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना। ©Gobind Kumar

#कविता  हरी-भरी ये धरती प्यारी, फूलों से सजी बगिया न्यारी। नीला अम्बर, सूरज की किरण, पंछियों की मीठी छवि न्यारी।नदी की बहती निर्मल धारा, पर्वत की ऊँची चोटी प्यारा। सांझ का सुंदर सजीव दृश्य, चाँदनी रात की शीतल छाया।वृक्षों की छाया, हवा की सरगम, बारिश की बूँदें, झरनों का संगम। प्रकृति का हर एक रूप निराला, इसमें बसी है सृष्टि की माया।धरती माँ का ये अनुपम उपहार, हम सबको इसे सहेजना है प्यार। प्रकृति के रंग में रंग जाना, इसका सौंदर्य हमें बचाना।

©Gobind Kumar

हिंदी कविता... हिंदी कविता

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