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White न रेत में... न देह में... न मन मे ... न अहसास में.. न जिस्म में... इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत में.. न इनायत में.... न चाहत में .. न ख्वाहिश में.. इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!! ©Shivkumar barman

#ख्वाहिश #चाहता #अहसास #कविता #जिस्म #इश्क  White न रेत में... 
न देह में...
न मन मे ... 
न अहसास में..
न जिस्म में...
इश्क तो बस सिमट जाता है,
सिर्फ और सिर्फ रूह में...!
न आयत में.. 
न इनायत में....
न चाहत में .. 
न ख्वाहिश में..
इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!!

©Shivkumar barman

#रेत में... न #देह में... न #मन मे ... न #अहसास में.. न #जिस्म में... #इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत म

14 Love

White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#हरियाली #ठिठुरने #नदियाँ #कविता #बरसात #मौसम  White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम @Sethi Ji @Bhanu Priya @Kshitija @Sana naaz @puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

13 Love

#Phalsafa_e_zindagi #nojotohindi #nojotoapp #Trending

हे माँ! जब-जब मैं अंधेरों से डरी, तब-तब तूने इससे लड़ने की शक्ति दी..! इस अंधेरी दुनिया में जब भी मैं भय से सिमटी, तूने साया बन मेरे इस भय क

243 View

White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

#शायरी #good_night  White 

ग़ज़ल:

आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो,
अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो।

सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे,
भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो।

मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं,
पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं।

ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है,
वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं।

इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है,
सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से

18 Love

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ

22 Love

#शायरी #sad_shayari  White कभी कभी हम किसी की यादों में

इस कदर सिमट जाते है

कि उस यादों से निकल पाना

बहुत ही मुश्किल हो जाता ह ...।

©Jagbandhu Mandal

कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है|

99 View

White न रेत में... न देह में... न मन मे ... न अहसास में.. न जिस्म में... इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत में.. न इनायत में.... न चाहत में .. न ख्वाहिश में.. इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!! ©Shivkumar barman

#ख्वाहिश #चाहता #अहसास #कविता #जिस्म #इश्क  White न रेत में... 
न देह में...
न मन मे ... 
न अहसास में..
न जिस्म में...
इश्क तो बस सिमट जाता है,
सिर्फ और सिर्फ रूह में...!
न आयत में.. 
न इनायत में....
न चाहत में .. 
न ख्वाहिश में..
इश्क़ तो बसता है सिर्फ रूह की इबादत में..!!

©Shivkumar barman

#रेत में... न #देह में... न #मन मे ... न #अहसास में.. न #जिस्म में... #इश्क तो बस सिमट जाता है, सिर्फ और सिर्फ रूह में...! न आयत म

14 Love

White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#हरियाली #ठिठुरने #नदियाँ #कविता #बरसात #मौसम  White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम @Sethi Ji @Bhanu Priya @Kshitija @Sana naaz @puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

13 Love

#Phalsafa_e_zindagi #nojotohindi #nojotoapp #Trending

हे माँ! जब-जब मैं अंधेरों से डरी, तब-तब तूने इससे लड़ने की शक्ति दी..! इस अंधेरी दुनिया में जब भी मैं भय से सिमटी, तूने साया बन मेरे इस भय क

243 View

White ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे, भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो। मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं, पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं। ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है, वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं। इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है, सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

#शायरी #good_night  White 

ग़ज़ल:

आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो,
अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो।

सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से करे,
भूख का सवाल है, इसे अब तो समझ कर लो।

मुफ़लिसी में भूख का दर्द कोई सह पाता नहीं,
पैसों के बिना कोई रिश्ता चल पाता नहीं।

ज़िंदगी की हर ख़्वाहिश पैसों पर ठहरती है,
वरना ख़ुशियों की राह तो कहीं जा पाती नहीं।

इन अशआर में ज़िंदगी का हर रंग सिमट आया है,
सच कहें तो यही हकीकत समझ में आता नहीं।

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

ग़ज़ल: आदतें हैं छूटती नहीं, चाहे कितनी कोशिश कर लो, अनमोल चीज़ें समझ में आएं, ये सभी से चाह कर लो। सेवा भी मुफ़्त कब तक, कोई दिल से

18 Love

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ

22 Love

#शायरी #sad_shayari  White कभी कभी हम किसी की यादों में

इस कदर सिमट जाते है

कि उस यादों से निकल पाना

बहुत ही मुश्किल हो जाता ह ...।

©Jagbandhu Mandal

कभी कभी हम किसी की यादों में इस कदर सिमट जाते है कि उस यादों से निकल पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है|

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