जब उन्होंने पूछा ........
कैसे हो हमने कह दिया बस ठीक है
इस छोटे से प्रश्न और जवाब के बीच
बहुत सी बाते अनकही रह गई
हम नहीं बता पाए की कैसे ,
भीड़ में भी खुद को अकेला महसूस करते है,
शोर के बीच एकांत ढूंढते है
सब होते हुए भी कुछ अभाव सा लगता है
केसे संघर्षों के बीच हम रास्ता बना रहे है
जानते हुए भी सबकुछ छुपा रहे है
कितना कम महसूस कर रहे है और कितना ज्यादा चाहते है
छोटे छोटे जख्मों से हम अब भी घबराते है
कुछ भी ठीक नहीं लगने पर भी
जब उन्होंने पूछा कैसे हो
हमने हजारों गम सीने में दबाकर
हजारों जख्म दिल से लगाकर
होठों पर हल्की सी मुस्कान के साथ कह दिया
बस ठीक है.......।
©seema patidar
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