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Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे । ©सूरज

#चरित्र #विचार  Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे ।

©सूरज

White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं। ©सूरज

#चरित्र #Quotes  White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी
पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं।

©सूरज

White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥ हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥ ©TeacherShailesh

#Bhakti  White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥

हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥

©TeacherShailesh

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40

15 Love

#teachershailesh #geetagyan #Bhakti

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 9 श्लोक 32 #geetagyan #teachershailesh

162 View

#teachershailesh #geetagyan #Bhakti

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 9 श्लोक 30 #geetagyan #teachershailesh

126 View

Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे । ©सूरज

#चरित्र #विचार  Unsplash मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रों से नहीं, उसके चरित्र से होती हे ।

©सूरज

White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं। ©सूरज

#चरित्र #Quotes  White व्यक्ति अपने पद से कितना ही बड़ा क्यों न हो जाए, लेकिन उसकी
पहचान उसके चरित्र और विनम्र स्वभाव से होती हैं।

©सूरज

White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप । एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥ हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥ ©TeacherShailesh

#Bhakti  White नान्तोऽस्ति मम दिव्यानां विभूतीनां परन्तप ।
एष तूद्देशतः प्रोक्तो विभूतेर्विस्तरो मया ॥

हे परंतप! मेरी दिव्य विभूतियों का अंत नहीं है, मैंने अपनी विभूतियों का यह विस्तार तो तेरे लिए एकदेश से अर्थात्‌ संक्षेप से कहा है॥

©TeacherShailesh

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 10 श्लोक 40

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#teachershailesh #geetagyan #Bhakti

श्रीमदभागवत गीता अध्याय 9 श्लोक 32 #geetagyan #teachershailesh

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श्रीमदभागवत गीता अध्याय 9 श्लोक 30 #geetagyan #teachershailesh

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