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ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman

#कविता  ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

16 Love

#अधअधूरेसपने #कवितावाचिका #संस्कृत #विचार #wellwisher_taru

निरुत्साही =उदास,अभिसारी=प्रेमी या प्रेमिका अनुगामी= वफादारी, स्वप्न =सपने भाषा शैली स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक अप

153 View

#कोई_नहीं_था #मोह_माया #दुनियां #कोट्स #rkyadavquotes #rkyfrnds4ever  White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है 
यहां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है 

जीवन का सच यही है 
एक अकेला तू है केवल और कहीं भी कुछ भी  नहीं है 

मोह माया है दुनिया सारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मोह ये तेरा कुछ नहीं है 
 झूठ है नकली है सब कुछ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माया में तू  फ़सां हुआ है 

खाली खाली तन मन तेरा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, खाली खाली दिल भी तेरा
खाली है हर कोई कोना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चित्त के अंदर कुछ भरा नहीं है

भरे पड़े हैं जहर नफ़रत ईर्ष्या द्वेष झूठ फरेब मक्कारी बेईमानी
प्यार की कोई जगह नहीं है,,

कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है 
लोग नहीं,,,शैतान हैवान दरिंदे ,खूनी हत्यारे,पिशाचों की नगरी है ये
दुनियां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, नरक जहन्नुम क़यामत बनी हुई है 

कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है 
कोई नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है 
यहां नहीं है,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है 
दुनियां नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जहन्नुम बनी है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,३,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Rakesh frnds4ever

#कोई_नहीं_था #कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,, कहीं नहीं है #जीव

189 View

ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी... ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही, अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही.. तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी * माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी ©Shivkumar barman

#कविता  ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के,
ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी ..
ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो ,
तुम मुझे अपने बांहों की चादर से ढंकना चाहूँगी...

ये बारिश की बूंदे भी ये प्यासी धरती को भींगा रही,
अपने प्रेम की सदा से उसकी प्यास बुझा रही..
तुम भी अपनी प्रेम से मुझे भी सजाओ न
मैं तुम्हारे उस प्रेम से संवरना चाहूँगी 

*
माना कि कुछ खता हमसे हुई तो कुछ तुमसे हुई है
मै अब सब कुछ भूलना चाहूँगी जो मैने किया 
फिर से मैं तुम संग यु जीना चाहूँगी 
मैं-और तुम फिर से एक नए सपने को बुनना चाहूँगी 

मौसम की ये पहली बारिश और तुम्हारे संग भींगना चाहूँगी 
थाम के तेरा हाथ सदा से भीगी सड़क पे चलना चाहूँगी 
मैं बेफिक्र होकर अब तुझमें ही खोना चाहूँगी 
तुमसे कभी रूठना तो कभी तुझे मनाना चाहूँगी

हमसे जो खुशियों के पल कही खो गए है
उन्हें तुम संग फिर से संयोज कर जीना चाहूँगी

©Shivkumar barman

बारिश और साथ तुम्हारा ये रिमझिम से मौसम ने सुनी हो गई सारे सड़के, ये बारिश और साथ तुम्हारा ही चाहूँगी .. ठंड से जब मुझे लगे कपकपी तो , तुम

16 Love

#अधअधूरेसपने #कवितावाचिका #संस्कृत #विचार #wellwisher_taru

निरुत्साही =उदास,अभिसारी=प्रेमी या प्रेमिका अनुगामी= वफादारी, स्वप्न =सपने भाषा शैली स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक अप

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#कोई_नहीं_था #मोह_माया #दुनियां #कोट्स #rkyadavquotes #rkyfrnds4ever  White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है 
यहां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है 

जीवन का सच यही है 
एक अकेला तू है केवल और कहीं भी कुछ भी  नहीं है 

मोह माया है दुनिया सारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मोह ये तेरा कुछ नहीं है 
 झूठ है नकली है सब कुछ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माया में तू  फ़सां हुआ है 

खाली खाली तन मन तेरा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, खाली खाली दिल भी तेरा
खाली है हर कोई कोना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चित्त के अंदर कुछ भरा नहीं है

भरे पड़े हैं जहर नफ़रत ईर्ष्या द्वेष झूठ फरेब मक्कारी बेईमानी
प्यार की कोई जगह नहीं है,,

कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है 
लोग नहीं,,,शैतान हैवान दरिंदे ,खूनी हत्यारे,पिशाचों की नगरी है ये
दुनियां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, नरक जहन्नुम क़यामत बनी हुई है 

कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है 
कोई नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है 
यहां नहीं है,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है 
कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है 
दुनियां नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जहन्नुम बनी है
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,३,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Rakesh frnds4ever

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