बातचीत जब बंद तार दिल का छूटा,
मार्ग हुआ अवरुद्ध जहाँ भी पुल टूटा,
मज़बूरी में बचकर चलना पड़ता है,
लाचारी में जिसे मिला मौका कूटा,
दुर्घटनास्थल पर बिखरा था सबकुछ,
बुरे वक़्त में जिसे मिला अवसर लूटा,
कश्ती को सैलाब बहाकर ले जाता,
बाँध के रस्सी हमने गाड़ दिया खूँटा,
अपना-अपना पक्ष सभी रखते आकर,
फ़र्क बताना मुश्क़िल सच्चा और झूठा,
ताकतवर बच निकला दोषारोपण से,
निर्बल के सिर सदा ठीकरा है फूटा,
अरमानो का जंगल सूख गया 'गुंजन',
दीवारों पर चमक रहा नकली बूटा,
---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
समस्तीपुर बिहार
©Shashi Bhushan Mishra
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here