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New Year 2024-25 हाथ जैसे ही वो मेरा यार पकड़ेगा, वक्त देख लेना रफ्तार पकड़ेगा. ©Mayank Saini

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वक्त देख लेना रफ्तार पकड़ेगा.

©Mayank Saini

Unsplash this is a beautiful picture of the world 🌎 ©Arman Shaikh

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©Arman Shaikh

best #Videos #nojo #App #erning #sad_shayari motivational thoughts in marathi motivational story in hindi

8 Love

White दैनिक भास्कर समाचार पत्र का इतिहास दैनिक भास्कर की स्थापना 1956 में हुई थी , और यह अखबार हिंदी भा षा में प्रकाशित हो ता है। इसका मुख्या लय भोपाल, मध्य प्रदेश में है।है दैनिक भास्कर ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागृति लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1956 में आजाद भारत की जरूरतों को समझते हुए द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने भोपाल से 'सुबह सवेरे' और ग्वालियर से 'गुड मॉर्निंग इंडिया ' का प्रकाशन शुरू किया । 1957 में इन दोनों अखबारों का नाम बदलकर 'भास्कर समाचार' कर दिया गया । फिर 1958 में दुबारा इस अखबार का नाम बदलकर 'दैनिक भास्कर' कर दिया गया । दैनिक भास्कर का इतिहास भारतीय पत्रकारिता के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अखबार आज भी अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागृति लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ा वा देने में महत्वपूर्ण योगदा न दे रहा है। ©VIMALESH YADAV

#मोटिवेशनल #vimaleshyadav #love_shayari #Newspaper  White 
दैनिक भास्कर समाचार पत्र का इतिहास 


दैनिक भास्कर की स्थापना 1956 में हुई थी , और
यह अखबार हिंदी भा षा में प्रकाशित हो ता है। इसका
मुख्या लय भोपाल, मध्य प्रदेश में है।है दैनिक भास्कर
ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागृति
लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण
योगदान दिया है। 1956 में आजाद भारत की
जरूरतों को समझते हुए द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने
भोपाल से 'सुबह सवेरे' और ग्वालियर से 'गुड मॉर्निंग
इंडिया ' का प्रकाशन शुरू किया । 1957 में इन दोनों
अखबारों का नाम बदलकर 'भास्कर समाचार' कर
दिया गया । फिर 1958 में दुबारा इस अखबार का
नाम बदलकर 'दैनिक भास्कर' कर दिया गया ।
दैनिक भास्कर का इतिहास भारतीय पत्रकारिता के
इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अखबार
आज भी अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में
जागृति लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ा वा देने में
महत्वपूर्ण योगदा न दे रहा है।

©VIMALESH YADAV

Unsplash The Hindu Akhabar ka Itihas वर्ष 1878 में मद्रा स हा ई को र्ट की जजों की बेंच में सर टी मुथुस्वा मी अय्यर को , शामिल करने के खिलाफ एंलो इंडियन अखबार विरोध कर रहा था । इस विरोध के खिलाफ कानून की पढ़ाई करने वाले चार छात्रों और दो शिक्षकों ने चेन्नई से साप्ताहिक पत्रिका द हिंदू अखबार की शुरुआत की इस अखबार के संपादक जी . सुब्रमण्यम अय्यर और मैनेजिंग डायरेक्टर एम.वी . राघवाचार्य थे। अखबार की शुरुआत केवल एक रुपये 12 आने से हुई 1905 में एस. कस्तूरी ने इसे अपने अंतर्गत ले लिया । तब से इसका संचा लन कस्तूरी परिवार ही कर रहा है। द हिंदू समाचार पत्र का मुख्यालय चेन्नई में है। इसकी शुरुआत साप्ताहिक पत्रिका के रूप में हुई, जो आगे चलकर 1829 में दैनिक समाचार पत्र बन गया । यह भारत के शीर्ष दैनिक अंग्रेजी समाचा र पत्रों में से एक है, जो ज्यादातर दक्षिण भारत में पढ़ा जा ता है। ©VIMALESH YADAV

#मोटिवेशनल #vimaleshyadav #Thehindu #Book  Unsplash The Hindu Akhabar ka Itihas 


  वर्ष 1878 में मद्रा स हा ई को र्ट की जजों की बेंच में
सर टी मुथुस्वा मी अय्यर को , शामिल करने के
खिलाफ
एंलो इंडियन अखबार विरोध कर रहा था ।
इस विरोध के खिलाफ कानून की पढ़ाई करने वाले
चार छात्रों और दो शिक्षकों ने चेन्नई से साप्ताहिक
पत्रिका द हिंदू अखबार की शुरुआत की इस अखबार
के संपादक जी . सुब्रमण्यम अय्यर और मैनेजिंग
डायरेक्टर एम.वी . राघवाचार्य थे।
अखबार की शुरुआत केवल एक रुपये 12 आने से
हुई 1905 में एस. कस्तूरी ने इसे अपने अंतर्गत ले
लिया । तब से इसका संचा लन कस्तूरी परिवार ही कर
रहा है। द हिंदू समाचार पत्र का मुख्यालय चेन्नई में है।
इसकी शुरुआत साप्ताहिक पत्रिका के रूप में हुई,
जो आगे चलकर 1829 में दैनिक समाचार पत्र बन
गया । यह भारत के शीर्ष दैनिक अंग्रेजी समाचा र पत्रों
में से एक है, जो ज्यादातर दक्षिण भारत में पढ़ा जा ता
है।

©VIMALESH YADAV

The hindu newspaper ka itihas #Book #Thehindu #vimaleshyadav

17 Love

White निरागसतेच्या जगातच डोळ्यात वाढणाऱ्या स्वप्नांच्या पाखरांना स्वातंत्र्याच्या आकाशात स्वच्छंद भरारी घेण्याची मुभा असते... एकदा का जबाबदारीच्या पिंजऱ्यात कैद झाल की हीच निरागसता लोप पावते.... _sentive_ink_ ©Dr. BHAGYASHRI

#Quotes  White निरागसतेच्या जगातच डोळ्यात वाढणाऱ्या 
स्वप्नांच्या पाखरांना स्वातंत्र्याच्या आकाशात 
स्वच्छंद भरारी घेण्याची मुभा असते...
एकदा का जबाबदारीच्या पिंजऱ्यात कैद झाल 
की हीच निरागसता लोप पावते....
_sentive_ink_

©Dr. BHAGYASHRI

Marathi# मराठी #

9 Love

#मराठीशायरी #marathi #poem

#poem #marathi

117 View

New Year 2024-25 हाथ जैसे ही वो मेरा यार पकड़ेगा, वक्त देख लेना रफ्तार पकड़ेगा. ©Mayank Saini

#Newspaper #treding #shyari #newday  New Year 2024-25 हाथ जैसे ही वो मेरा यार पकड़ेगा,
वक्त देख लेना रफ्तार पकड़ेगा.

©Mayank Saini

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#Motivational #sad_shayari #Videos #erning #nojo  Unsplash this is a beautiful picture of the world 🌎

©Arman Shaikh

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8 Love

White दैनिक भास्कर समाचार पत्र का इतिहास दैनिक भास्कर की स्थापना 1956 में हुई थी , और यह अखबार हिंदी भा षा में प्रकाशित हो ता है। इसका मुख्या लय भोपाल, मध्य प्रदेश में है।है दैनिक भास्कर ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागृति लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 1956 में आजाद भारत की जरूरतों को समझते हुए द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने भोपाल से 'सुबह सवेरे' और ग्वालियर से 'गुड मॉर्निंग इंडिया ' का प्रकाशन शुरू किया । 1957 में इन दोनों अखबारों का नाम बदलकर 'भास्कर समाचार' कर दिया गया । फिर 1958 में दुबारा इस अखबार का नाम बदलकर 'दैनिक भास्कर' कर दिया गया । दैनिक भास्कर का इतिहास भारतीय पत्रकारिता के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अखबार आज भी अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागृति लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ा वा देने में महत्वपूर्ण योगदा न दे रहा है। ©VIMALESH YADAV

#मोटिवेशनल #vimaleshyadav #love_shayari #Newspaper  White 
दैनिक भास्कर समाचार पत्र का इतिहास 


दैनिक भास्कर की स्थापना 1956 में हुई थी , और
यह अखबार हिंदी भा षा में प्रकाशित हो ता है। इसका
मुख्या लय भोपाल, मध्य प्रदेश में है।है दैनिक भास्कर
ने अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में जागृति
लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण
योगदान दिया है। 1956 में आजाद भारत की
जरूरतों को समझते हुए द्वारका प्रसाद अग्रवाल ने
भोपाल से 'सुबह सवेरे' और ग्वालियर से 'गुड मॉर्निंग
इंडिया ' का प्रकाशन शुरू किया । 1957 में इन दोनों
अखबारों का नाम बदलकर 'भास्कर समाचार' कर
दिया गया । फिर 1958 में दुबारा इस अखबार का
नाम बदलकर 'दैनिक भास्कर' कर दिया गया ।
दैनिक भास्कर का इतिहास भारतीय पत्रकारिता के
इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अखबार
आज भी अपनी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में
जागृति लाने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ा वा देने में
महत्वपूर्ण योगदा न दे रहा है।

©VIMALESH YADAV

Unsplash The Hindu Akhabar ka Itihas वर्ष 1878 में मद्रा स हा ई को र्ट की जजों की बेंच में सर टी मुथुस्वा मी अय्यर को , शामिल करने के खिलाफ एंलो इंडियन अखबार विरोध कर रहा था । इस विरोध के खिलाफ कानून की पढ़ाई करने वाले चार छात्रों और दो शिक्षकों ने चेन्नई से साप्ताहिक पत्रिका द हिंदू अखबार की शुरुआत की इस अखबार के संपादक जी . सुब्रमण्यम अय्यर और मैनेजिंग डायरेक्टर एम.वी . राघवाचार्य थे। अखबार की शुरुआत केवल एक रुपये 12 आने से हुई 1905 में एस. कस्तूरी ने इसे अपने अंतर्गत ले लिया । तब से इसका संचा लन कस्तूरी परिवार ही कर रहा है। द हिंदू समाचार पत्र का मुख्यालय चेन्नई में है। इसकी शुरुआत साप्ताहिक पत्रिका के रूप में हुई, जो आगे चलकर 1829 में दैनिक समाचार पत्र बन गया । यह भारत के शीर्ष दैनिक अंग्रेजी समाचा र पत्रों में से एक है, जो ज्यादातर दक्षिण भारत में पढ़ा जा ता है। ©VIMALESH YADAV

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  वर्ष 1878 में मद्रा स हा ई को र्ट की जजों की बेंच में
सर टी मुथुस्वा मी अय्यर को , शामिल करने के
खिलाफ
एंलो इंडियन अखबार विरोध कर रहा था ।
इस विरोध के खिलाफ कानून की पढ़ाई करने वाले
चार छात्रों और दो शिक्षकों ने चेन्नई से साप्ताहिक
पत्रिका द हिंदू अखबार की शुरुआत की इस अखबार
के संपादक जी . सुब्रमण्यम अय्यर और मैनेजिंग
डायरेक्टर एम.वी . राघवाचार्य थे।
अखबार की शुरुआत केवल एक रुपये 12 आने से
हुई 1905 में एस. कस्तूरी ने इसे अपने अंतर्गत ले
लिया । तब से इसका संचा लन कस्तूरी परिवार ही कर
रहा है। द हिंदू समाचार पत्र का मुख्यालय चेन्नई में है।
इसकी शुरुआत साप्ताहिक पत्रिका के रूप में हुई,
जो आगे चलकर 1829 में दैनिक समाचार पत्र बन
गया । यह भारत के शीर्ष दैनिक अंग्रेजी समाचा र पत्रों
में से एक है, जो ज्यादातर दक्षिण भारत में पढ़ा जा ता
है।

©VIMALESH YADAV

The hindu newspaper ka itihas #Book #Thehindu #vimaleshyadav

17 Love

White निरागसतेच्या जगातच डोळ्यात वाढणाऱ्या स्वप्नांच्या पाखरांना स्वातंत्र्याच्या आकाशात स्वच्छंद भरारी घेण्याची मुभा असते... एकदा का जबाबदारीच्या पिंजऱ्यात कैद झाल की हीच निरागसता लोप पावते.... _sentive_ink_ ©Dr. BHAGYASHRI

#Quotes  White निरागसतेच्या जगातच डोळ्यात वाढणाऱ्या 
स्वप्नांच्या पाखरांना स्वातंत्र्याच्या आकाशात 
स्वच्छंद भरारी घेण्याची मुभा असते...
एकदा का जबाबदारीच्या पिंजऱ्यात कैद झाल 
की हीच निरागसता लोप पावते....
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©Dr. BHAGYASHRI

Marathi# मराठी #

9 Love

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