White हर्षित मन, शीतल गगन,
शीतलता से भरी ये पवन,
राग नया गुनगुना रही है,,
खुशियों का समा, मन रमा,
तपन से मुक्ति, शीत थमा,
शरद ऋतू केसी आ रही है,,,
अमृत बरसे, मन हर्ष हरषै,
सब नैन मिलाये अम्बर से,
शरद ऋतू ऐसी भा रही है,,,
कृष्ण का रास, आज़ रात,
गोपिया जोहे आज़ की बाट,
गोपिया कृष्ण को पा रही है,,,
सोलह कला, शशि ले चला,
इठला जग निहारे चन्द्रकला,,
सोलह कला जग पे छा रही है,,,
चहके चकोर, मन में उठा शोर,
चांदनी बरसे आज रात घनघोर,
चांदनी चकोर को लुभा रही है,,,
सौंदर्य प्रतीक, प्रेम पथिक,
आभा है ऐसी अलौकिक,
कलम मेरी रचना रचा रही है,,,
शीतमय जग, शीतलता रग रग,
श्रृद्धा शीश झुके, खुशि पग पग,
शरद पूर्णिमा महत्व बता रही है,,,
✍️नितिन कुवादे..
©Nitin Kuvade
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