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ढलती मेरी उम्र का यह कहना है तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है ©अदनासा-

 ढलती मेरी उम्र का यह कहना है
तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है
लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर
इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 Nojoto App #हिंदी #शायरी #उम्र #जवानी #फ़ुर्सत #रुख़्सत #Heart #Instagram #Facebook #अदनासा लव शायरी

20 Love

आज ये मज़हब और इंसान जैसे दबा-दबा सा है चंद फ़रेबीयों और मक्कारों के नापाक वज़न से दंगे करवा कर मकानों का फ़ैलाया मलबा सा है इन्हें कोई मतलब ही नही इंसानियत और वतन से ©अदनासा-

#फ़रेबीयों #इंसानियत #मक्कारों #अदनासा #हिंदी #शायरी  आज  ये मज़हब और  इंसान जैसे  दबा-दबा सा है
चंद फ़रेबीयों  और  मक्कारों  के  नापाक वज़न से
दंगे  करवा कर  मकानों  का फ़ैलाया  मलबा सा है
इन्हें कोई मतलब ही नही  इंसानियत और वतन से

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/6RPsewRXA #हिंदी #मज़हब #इंसानियत #नापाक #मक्कारों #फ़रेबीयों #वतन #वज़न #Pinterest #अद

17 Love

#जबरदस्त #सियासत #अदनासा #हिंदी #शायरी #मज़हब  कोई ढूंढता है मंदिर तो कोई ढूंढता मस्जिद
कोई गिरजाघर तो ढूंढता कोई गुरूद्वारा है
ग़ज़ब बोलता है झूठ और करे नाहक ज़िद्द
यह सीनाजोर सियासत मज़हब का मारा है
तारीख़ें खोद नया वतन बनेगा भारत न्यारा 
अवाम मज़हबी अफ़ीम चाटने में मदमस्त है
बाकी है आवामी "अदनासा" उम्मीद प्यारा
इंसानियत का पैगाम जब-तक जबरदस्त है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/7KhY4q2Bb #हिंदी #सियासत #आवाम #मज़हब #अफ़ीम #जिद्द #जबरदस्त #Pinterest #Instagram #अदन

126 View

"जनता, पत्रकार और सरकार" हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है। परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है। आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है। इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा। जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा-

#पत्रकारिता #अंधभक्त #चाटुकार #भारतीय #अदनासा #हिंदी  "जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/3uxwXGlCs #भारतीय #पत्रकारिता #हिंदी #जनता #सरकार #अंधभक्त #चाटुकार #Pinterest #Instag

17 Love

ढलती मेरी उम्र का यह कहना है तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है ©अदनासा-

 ढलती मेरी उम्र का यह कहना है
तेरी ये जवानी हो रही रुख़्सत है
लेकिन यारों मुहब्बत की ख़ातिर
इस दिल को फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 Nojoto App #हिंदी #शायरी #उम्र #जवानी #फ़ुर्सत #रुख़्सत #Heart #Instagram #Facebook #अदनासा लव शायरी

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आज ये मज़हब और इंसान जैसे दबा-दबा सा है चंद फ़रेबीयों और मक्कारों के नापाक वज़न से दंगे करवा कर मकानों का फ़ैलाया मलबा सा है इन्हें कोई मतलब ही नही इंसानियत और वतन से ©अदनासा-

#फ़रेबीयों #इंसानियत #मक्कारों #अदनासा #हिंदी #शायरी  आज  ये मज़हब और  इंसान जैसे  दबा-दबा सा है
चंद फ़रेबीयों  और  मक्कारों  के  नापाक वज़न से
दंगे  करवा कर  मकानों  का फ़ैलाया  मलबा सा है
इन्हें कोई मतलब ही नही  इंसानियत और वतन से

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/6RPsewRXA #हिंदी #मज़हब #इंसानियत #नापाक #मक्कारों #फ़रेबीयों #वतन #वज़न #Pinterest #अद

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#जबरदस्त #सियासत #अदनासा #हिंदी #शायरी #मज़हब  कोई ढूंढता है मंदिर तो कोई ढूंढता मस्जिद
कोई गिरजाघर तो ढूंढता कोई गुरूद्वारा है
ग़ज़ब बोलता है झूठ और करे नाहक ज़िद्द
यह सीनाजोर सियासत मज़हब का मारा है
तारीख़ें खोद नया वतन बनेगा भारत न्यारा 
अवाम मज़हबी अफ़ीम चाटने में मदमस्त है
बाकी है आवामी "अदनासा" उम्मीद प्यारा
इंसानियत का पैगाम जब-तक जबरदस्त है

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://pin.it/7KhY4q2Bb #हिंदी #सियासत #आवाम #मज़हब #अफ़ीम #जिद्द #जबरदस्त #Pinterest #Instagram #अदन

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"जनता, पत्रकार और सरकार" हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है। परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है। वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है। आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है। इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा। जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 ©अदनासा-

#पत्रकारिता #अंधभक्त #चाटुकार #भारतीय #अदनासा #हिंदी  "जनता, पत्रकार और सरकार"

हृदय में कैद हर दबे, कुचले, डरे हुए, हर प्रकार के शब्दों को, जो निर्भीक वाणी दे सके, जो सत्ता के विरुद्ध हो तटस्थ नही, जिनमें आलोचना करने का बल हो, वही पत्रकार है और वही साहित्यकार है।
परंतु वह नही जो हृदय में बंद हर शब्दों का दमन करे, भय के वातावरण का निर्माण करे, पक्षपाती व्यवहार करे, राजनैतिक विपक्ष को डांटे फटकारे, वह पत्रकार नही दलाल है, वही चाटुकार है, वही गोदी मिडिया है।
             वर्तमान में भारतीय पत्रकारिता गहरे गंदे नाले के गर्त में लिप्त हो चुकी है परंतु हर्षोल्लास में है, क्योंकि उसकी तथाकथित पत्रकारिता, मात्र एक सत्तासीन व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमटकर दम तोड़ चुकी है, वर्तमान संविधान में एक व्यक्ति का विधान चल रहा है, यही लोकतंत्र की व्यवस्था को कमज़ोर कर रहा है, इसे ही तानाशाही या डिक्टेटरशिप कहते है, इनका धार्मिक आस्थाओं से खेलना बाएं हाथ का खेल है, क्योंकि हमने जनसेवक नही अपितु सिंगोलधारी राजा चुना है।
            आज-कल का प्रचलित शब्द "अंधभक्ति या अंधभक्त" वास्तव में एक विशेष प्रकार की जनता के लिए संबोधित किया जाता है, जो सत्ता द्वारा हर प्रकार के निर्णय का समर्थन करती है, क्योंकि सत्ता द्वारा उसे केवल अपना हित साधना ही सिखाया गया है, उनके लिए शिक्षा, नौकरी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोज़गार, भ्रष्टाचार, कानून-व्यवस्था, अपराध आदि से, कोई लेना-देना नही होता, उन्हें मात्र अंतर्मुखी बना दिया, जैसा कि वह राजा स्वयं है, वैसे प्रजा भी कहीं ना कहीं, किसी ना किसी की अंधभक्ति में अवश्य है।
            इसलिए कहते है जैसा राजा वैसी प्रजा।

जय हिंद जय भारत।💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳

©अदनासा-

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