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जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको साकार करना होगा। ख्यालों से बाहर निकलना होगा, उड़ान को अपनी भरना होगा। खुला आसमान है ये देखो यारों, उस आसमान को छूना होगा। लक्ष्य को भी अब तो पाना होगा, जिद्द है इसे हासिल करना होगा। रुकावटें आएँ चाहे जितनी भी, उन सबको भी पार करना होगा। धीरज को बनाये भी रखना होगा, मंजिल की ओर नित बढ़ना होगा। फ़सल कटती जैसे समय आने पर, कर्म फल ही उसके अनुसार होगा। हांँ जीत का जज्बा अब रखना होगा, क़ायम भी तो उस पर रहना होगा। छोड़ दिये हैं सारे गिले-शिक्वे पुराने, उन यादों को अब बिसराना होगा। ................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

#जीत_का_जज्बा_रखना_होगा #कविता #sandiprohila #hindinojoto  जीत का जज्बा रखना होगा

जीत का जज्बा रखना होगा,
पीछे नहीं अब हटना होगा।
रह गये पीछे जो सपने अपने,
उनको साकार करना होगा।

ख्यालों से बाहर निकलना होगा,
उड़ान को अपनी भरना होगा।
खुला आसमान है ये देखो यारों,
उस आसमान को छूना होगा।

लक्ष्य को भी अब तो पाना होगा,
जिद्द है इसे हासिल करना होगा।
रुकावटें आएँ चाहे जितनी भी,
उन सबको भी पार करना होगा।

धीरज को बनाये भी रखना होगा,
मंजिल की ओर नित बढ़ना होगा।
फ़सल कटती जैसे समय आने पर,
कर्म फल ही उसके अनुसार होगा।

हांँ जीत का जज्बा अब रखना होगा,
क़ायम भी तो उस पर रहना होगा।
छोड़ दिये हैं सारे गिले-शिक्वे पुराने,
उन यादों को अब बिसराना होगा।
...................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#जीत_का_जज्बा_रखना_होगा #hindinojoto जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको

19 Love

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

White ज़ख्म जज्बातों के छुपाये रख्खा हमने कुछ इस कदर मौत को गले लगाये रख्खा इक चाँद दिखा था कल आसमाँ में उसी की तबस्सुम में ख़ुद को उलझाये रख्खा ये दर्द काफ़ी था मियां उसके बिछड़ जाने का पर दिल में खुशी के गुब्बार जगाये रख्खा ना रोया ना आँसू फुज़ूल किया हमने कुछ इस कदर अपना ओहदा बनाये रख्खा ©heart sounds

#sad_quotes  White ज़ख्म जज्बातों के छुपाये रख्खा
हमने कुछ इस कदर मौत को गले लगाये रख्खा

इक चाँद दिखा था कल आसमाँ में
उसी की तबस्सुम में ख़ुद को उलझाये रख्खा

ये दर्द काफ़ी था मियां उसके बिछड़ जाने का
पर दिल में खुशी के गुब्बार जगाये रख्खा

ना रोया ना आँसू फुज़ूल किया हमने
कुछ इस कदर अपना ओहदा बनाये रख्खा

©heart sounds

#sad_quotes ज़ख्म जज्बातों के छुपाये रख्खा हमने कुछ इस कदर मौत को गले लगाये रख्खा इक चाँद दिखा था कल आसमाँ में उसी की तबस्सुम में ख़ुद को उलझ

13 Love

जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको साकार करना होगा। ख्यालों से बाहर निकलना होगा, उड़ान को अपनी भरना होगा। खुला आसमान है ये देखो यारों, उस आसमान को छूना होगा। लक्ष्य को भी अब तो पाना होगा, जिद्द है इसे हासिल करना होगा। रुकावटें आएँ चाहे जितनी भी, उन सबको भी पार करना होगा। धीरज को बनाये भी रखना होगा, मंजिल की ओर नित बढ़ना होगा। फ़सल कटती जैसे समय आने पर, कर्म फल ही उसके अनुसार होगा। हांँ जीत का जज्बा अब रखना होगा, क़ायम भी तो उस पर रहना होगा। छोड़ दिये हैं सारे गिले-शिक्वे पुराने, उन यादों को अब बिसराना होगा। ................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

#जीत_का_जज्बा_रखना_होगा #कविता #sandiprohila #hindinojoto  जीत का जज्बा रखना होगा

जीत का जज्बा रखना होगा,
पीछे नहीं अब हटना होगा।
रह गये पीछे जो सपने अपने,
उनको साकार करना होगा।

ख्यालों से बाहर निकलना होगा,
उड़ान को अपनी भरना होगा।
खुला आसमान है ये देखो यारों,
उस आसमान को छूना होगा।

लक्ष्य को भी अब तो पाना होगा,
जिद्द है इसे हासिल करना होगा।
रुकावटें आएँ चाहे जितनी भी,
उन सबको भी पार करना होगा।

धीरज को बनाये भी रखना होगा,
मंजिल की ओर नित बढ़ना होगा।
फ़सल कटती जैसे समय आने पर,
कर्म फल ही उसके अनुसार होगा।

हांँ जीत का जज्बा अब रखना होगा,
क़ायम भी तो उस पर रहना होगा।
छोड़ दिये हैं सारे गिले-शिक्वे पुराने,
उन यादों को अब बिसराना होगा।
...................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#जीत_का_जज्बा_रखना_होगा #hindinojoto जीत का जज्बा रखना होगा जीत का जज्बा रखना होगा, पीछे नहीं अब हटना होगा। रह गये पीछे जो सपने अपने, उनको

19 Love

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

13 Love

White ज़ख्म जज्बातों के छुपाये रख्खा हमने कुछ इस कदर मौत को गले लगाये रख्खा इक चाँद दिखा था कल आसमाँ में उसी की तबस्सुम में ख़ुद को उलझाये रख्खा ये दर्द काफ़ी था मियां उसके बिछड़ जाने का पर दिल में खुशी के गुब्बार जगाये रख्खा ना रोया ना आँसू फुज़ूल किया हमने कुछ इस कदर अपना ओहदा बनाये रख्खा ©heart sounds

#sad_quotes  White ज़ख्म जज्बातों के छुपाये रख्खा
हमने कुछ इस कदर मौत को गले लगाये रख्खा

इक चाँद दिखा था कल आसमाँ में
उसी की तबस्सुम में ख़ुद को उलझाये रख्खा

ये दर्द काफ़ी था मियां उसके बिछड़ जाने का
पर दिल में खुशी के गुब्बार जगाये रख्खा

ना रोया ना आँसू फुज़ूल किया हमने
कुछ इस कदर अपना ओहदा बनाये रख्खा

©heart sounds

#sad_quotes ज़ख्म जज्बातों के छुपाये रख्खा हमने कुछ इस कदर मौत को गले लगाये रख्खा इक चाँद दिखा था कल आसमाँ में उसी की तबस्सुम में ख़ुद को उलझ

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