काई रात गुजरी हैं, इस अंधेरे में, तुम थोडा सा नूर ले आओगे?मेरे तकिये गीले हैं अशुओ से, तुम अपनी गोद में सुलओगे?सुना हैं बाग हैं तुम्हारे अगन मे! मेरे ल-हशल बच्चपन को वो झुला दिखाओगे? मैने खोई है अपनी हर प्यारी चीज, क्या तुम फिर भी अपनी किसमत आजमाओगे?
©Saumya
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