moh (Manjari)

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poetry, Actress (Theatre)

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तुम्हारी आज़ादी भी उन अर्बन आँवारा कुत्तों जैसी है ©moh (Manjari)

 तुम्हारी आज़ादी भी उन अर्बन आँवारा कुत्तों जैसी है

©moh (Manjari)

तुम्हारी भी आज़ादी उन अर्बन आवारा कुत्तों जैसी है तुम आज़ाद हो अर्बन गायों की तरह जो दर बदर भटकती हैं थन में दूध भरती हैं दो पैरों में मालिक की भूख, बच्चे की पढाई, स्वास्थ्य के दायित्व की बेड़ी है

12 Love

ज़ब लड़कियां शहर से गाँव जाती हैं

 ज़ब लड़कियां शहर से गाँव जाती हैं

एक जब शहर से लड़कियां गांव जाती हैं तो कितना कुछ बदल चूका होता है वो पगडंडियां जिसपे वो बमुश्किल से साईकिल चलाकर स्कूल जाया करतीं थी अब वो पक्की सड़क में बदल चुकी है अब नहर सूख गई है उसमें घास उग आये हैं और उसके किनारे के जमीन को

9 Love

सूख गए है नीर नयन में अब कितना तड़पाओगे बोलो ना तुम कब आओगे ? Moh Manjari

#Missing  सूख गए है नीर नयन में
अब कितना तड़पाओगे
बोलो ना 
तुम कब आओगे ?

 Moh Manjari

#Missing

3 Love

मैं जानती हूँ एक कोना मेरा भी है तेरे दिल में। पर मैं नहीं रह सकती , तेरे दिल के एक कोने में। मुझे रहना है तेरे पूरे दिल में ठाठ से एक सेठानी की तरह। Moh Manjari

#First_Meeting  मैं जानती हूँ
 एक कोना मेरा भी है 
 तेरे दिल में।
पर मैं नहीं रह सकती ,
तेरे दिल के एक कोने में।
मुझे रहना है
 तेरे पूरे दिल में ठाठ से 
एक सेठानी की तरह।

 Moh Manjari

आदमी जिसे सबसे ज्यादा प्रेम करता है सबसे कम उसी की परवाह क्यों करता है?

 आदमी जिसे सबसे ज्यादा प्रेम करता है
सबसे कम उसी की परवाह क्यों करता है?

आदमी सबसे कम उसीकी परवाह क्यों करता हैं ? जिससे वो सबसे ज्यादा प्रेम करता है । आखिर ए कैसा जीवन है? जहाँ सुबह जागते हीं , काम मे ब्यस्त हो जाना। कभी कंप्यूटर के संसार में तो , कभी ऑफिस के काम में । कभी टीवी में तो , कभी फ़ोन में।

4 Love

अब अपने हीं लोगो से जो अपने होनें का दिखावा तो करते हैं , पर अपने नहीं होते । डर लगता है उस इंसान से जो, इंसान के रूप में एक भेड़िया है जो मौके कि तलाश में रहता है कि, कब उसे मौका मिले और वो हमें नोच खाए। अब अपने हीं घर में डर लगता है ।।

 अब अपने हीं लोगो से 
जो अपने होनें का दिखावा तो करते हैं ,
पर अपने नहीं होते ।
डर लगता है उस इंसान से जो,
इंसान के रूप में एक भेड़िया है 
जो मौके कि तलाश में रहता है कि,
कब उसे मौका मिले और वो हमें नोच खाए।
अब अपने हीं घर में डर लगता है ।।

अब अपने हीं लोगो से जो अपने होनें का दिखावा तो करते हैं , पर अपने नहीं होते । डर लगता है उस इंसान से जो, इंसान के रूप में एक भेड़िया है जो मौके कि तलाश में रहता है कि, कब उसे मौका मिले और वो हमें नोच खाए। अब अपने हीं घर में डर लगता है ।।

2 Love

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