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BAHOT MAMULI HU KOI KHAAS NHI...... ZYADA MERI AUQAAT NHI.....
""हवाएं चलती रही मुसलसल ही मुखालिफ पर मैं खड़ा रहा मज़बूत शजर की मानिंद"" ©Atiff Ashraff
Atiff Ashraff
9 Love
""सनी थी कमीज़ किसी कि खून में कोई सफ्फाफ लिबास में घूमता रहा कई लाश दबी रही लाशों तले,, कोई सियासत कुछ इस तरह से करता रहा"" ©Atiff Ashraff
12 Love
HAPPY INDEPENDENCE DAY
""हद ए नज़र के बस में नहीं है, हा पलकें गिरा लो तो शायद नज़र आ ही जाएं,, खामखां अकलियत में घिरे रहते हो, कभी दिल झुका के देखो तो शायद समझ भी आ जाए""
11 Love
"हद ए नज़र के बस में नहीं है पलक गिरा के देखो शायद नज़र आ जाए"
""फर्श कि दरारों को हमने कालीन से छुपा रखा है तुम गले लगकर भी दर्द ए दिल का अंदाज़ा ना लगा पाओगे""
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