मासूम सी गुड़िया
आज फिर से एक मासूम की जिंदगी बर्बाद हो गई।
फिर से कलयुग में चीत्कार गुज गई।
जिसे माॅं कहना भी नही आता।
उसके जिस्म से लाल रंग की धारा बह गई।
फिर से एक बेटी की जिस्म लूट गई।
मानवता आज फिर से शर्मसार हो गया।
फिर भी हमारी सरकार को कोई खबर तक ना हुई।
नाही मीडिया वालों को भनक तक लगी।
आज एक मासूम सी गुड़िया,
फिर से दरिंदों की शिकार हो गई।
जिस देश में बेटी बचाओ बेटी।
पढ़ाओ कि नारा गूंज उठती है।
उस देश में हर रोज एक मासूम के साथ बलात्कार हो रही।
आज फिर से एक मासूम सी गुड़िया,
जिंदगी और मौत के बीच झुझ रही।
दरिंदे खुले आसमान में घूम रहे है।
फिर भी हमारे प्रशासन को कोई फिक्र ना हो रही।
सब के सब गुलाम बन चुके है इन नोटों के।
आज फिर से एक बेटी की जिंदगी तबाह हो गई।
आज फिर से एक बेटी की जिंदगी तबाह हो गई।
©Jha Pallavi Jha
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here