की थोड़ा ठहरा आगे बढ़ गया..
चलते चलते मैं राही बन गया..,
उसकी बाहों में हसरते पा ली हमने..
उसका मुस्कुराना और मैं फ़ना हो गया..,
की अब खवाबों में बुन्ते हैं यादों के तकिये..
क्या हकीकत क्या फसाना सब बेवफा हो गया..!!!
✍प्रशांत
की थोड़ा ठहरा आगे बढ़ गया..
चलते चलते मैं राही बन गया..,
उसकी बाहों में हसरते पा ली हमने..
उसका मुस्कुराना और मैं फ़ना हो गया..,
की अब खवाबों में बुन्ते हैं यादों के तकिये..
क्या हकीकत क्या फसाना सब बेवफा हो गया..!!!
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