Premchand Pandey

Premchand Pandey Lives in Jamshedpur, Jharkhand, India

कागज है जुबान । कलम की है आंखे । इस जहां के भी कुछ पार है । उसे अपने लेखन में झांकें । - PC🖋️

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मेरे पके बाल और झुर्रियों को देख मेरा आईना मत बनिएगा। मेरी मां के सामने कभी मुझे बूढ़ा मत कहिएगा । ✍️Pc...

#twolines #Quotes #shayri #buudha #aaina  मेरे पके बाल और झुर्रियों को देख मेरा आईना मत बनिएगा।
मेरी मां के सामने कभी मुझे बूढ़ा मत कहिएगा ।
✍️Pc...

माँ अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है। अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है। आज पैसे कम नहीं , मगर गम है कि मां नहीं । अब संजोई तेरी यादें ही मां असली खजाना लगता है । दीवारें भी कभी गाती थी मां तेरी घंटी की धुन पर । आज सन्नाटो की कैद में मां इनका चिल्लाना लगता है। पहले आंसू आते थे मां तेरे पल्लू में सिमट जाते थे। आज उदासी को भी मां तेरा पल्लू ही घराना लगता है । पल-पल सूखती तुलसी रोज सूर्य से तेरा पता पूछती । अब मां उसे हम और ये अंगना भी अंजाना लगता है । आज परिंदे नहीं उतरते , छत को पंख चिढ़ाते हैं। तू नहीं है ना मां इसलिए उनका ये घर भुलाना लगता है। अब नींद में भी तेरे ख्वाब मां आंखों से निकलते हैं। मां तेरी तस्वीर का सीने से लग लोरी सुनाना लगता है। अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है। अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है। ✍️Pc...

#parinde #Quotes #shayri #poem #aasu  माँ  अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है।
अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है।
आज पैसे कम नहीं , मगर गम है कि मां नहीं ।
अब संजोई तेरी यादें ही मां असली खजाना लगता है ।
दीवारें भी कभी गाती थी मां तेरी घंटी की धुन पर ।
आज सन्नाटो की कैद में मां इनका चिल्लाना लगता है।
पहले आंसू आते थे मां तेरे पल्लू में सिमट जाते थे। 
आज उदासी को भी मां तेरा पल्लू ही घराना लगता है ।
पल-पल सूखती तुलसी रोज सूर्य से तेरा पता पूछती ।
अब मां उसे हम और ये अंगना भी अंजाना लगता है ।
आज परिंदे नहीं उतरते , छत को पंख चिढ़ाते हैं।
तू नहीं है ना मां इसलिए उनका ये घर भुलाना लगता है।
अब नींद में भी तेरे ख्वाब मां आंखों से निकलते हैं।
मां तेरी तस्वीर का सीने से लग लोरी सुनाना लगता है।
अब तेरी एक झलक मां, इन तारों का टिमटिमाना लगता है।
अब हर पायलों की छन-छन मां, तेरा आना लगता है।
✍️Pc...

दिल में जो कुछ भी है उसे आंखों से निकलने दो। गंगा की चाह है न? हिमालय को पिघलने दो। अच्छा ! वो गिरा हुआ है क्या ? जो आसमां मे नहीं। आसमां के चाहत में मगर धरा को न बदलने दो। ✍️Pc...

#himalaya #aankhein #Quotes #shayri #Chahat  दिल में जो कुछ भी है उसे आंखों से निकलने दो।
गंगा की चाह है न? हिमालय को पिघलने दो।
अच्छा ! वो गिरा हुआ है क्या ? जो आसमां मे नहीं।
आसमां के चाहत में मगर धरा को न बदलने दो। 
✍️Pc...

यादों के तूफान से मैं यूं ही नहीं घबराता । मेरी आंखों का सैलाब बहाकर , मुझे उसके दरवाजे तक छोड़ जाता । ✍️Pc...

#twolines #yaadein #Quotes #shayri #tufaan  यादों के तूफान से मैं यूं ही नहीं घबराता ।
मेरी आंखों का सैलाब बहाकर ,
 मुझे उसके दरवाजे तक छोड़ जाता ।
✍️Pc...

प्रेम! वो बेवजह तेरे दरवाजे पर ताले लगाते रहे। और दीवार अपने उम्र के साथ रास्ते दिखाते रहे। ताले की बदनामी से शायद वो वाकिफ नहीं इश्क! अब दरवाजे को भी दोष देना मुनासिफ नहीं इश्क! ✍️Pc...

#darwaje #Quotes #deewar #Taale #isqe  प्रेम! वो बेवजह तेरे दरवाजे पर ताले लगाते रहे।
और दीवार अपने उम्र के साथ रास्ते दिखाते रहे।

ताले की बदनामी से शायद वो वाकिफ नहीं इश्क!
अब दरवाजे को भी दोष देना मुनासिफ नहीं इश्क!

✍️Pc...

उनके खत को यूं ही छोड़ तुम तो आ गए सफीर । रांझा इंतजार में बैठा था कि आज मिलेगी मेरी हीर । उनके स्याही की महक यूं जहन में शामिल है । जैसे इश्क के जहान में बस दो जान एक शरीर । ✍️Pc...

#shayri #safir #Khat #Jaan #heer  उनके खत को यूं ही छोड़ तुम तो आ गए सफीर ।
रांझा इंतजार में बैठा था कि आज मिलेगी मेरी हीर ।
उनके स्याही की महक यूं जहन में शामिल है ।
जैसे इश्क के जहान में बस दो जान एक शरीर ।
✍️Pc...

#Khat #safir #heer #nojoto #shayri #Jaan

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