जो समझना ही नही चाहते कभी,
फिर क्यूं आखिर उन्हें समझाने में लगे हो
जिन्हें बस खामियां ही दिखती है हर जगह
उन्हें क्यूं अपनी खूबियां दिखाने में लगे हो
जो पहले से गैर मान कर बैठे हैं तुम्हें
उन्हें तुम बेवजह ही अपना बनाने में लगे हो
जो खफा ही इस खातिर है की तुम दूर हो जाओ
यह जान कर भी आखिर ,तुम क्यूं उसे मनाने में लगे हो
उन्होंने बाहें भी न खोली , तुमको पास बुलाने को कभी
और तुम हो की उनसे ,बस मोहब्बत जताने में लगे हो
विवेक
©Vivek Tripathi
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here