हाँ टुटा तो हुँ, बस बिखरा नहीं , बिछड़ कर तुझसे , मैं तुझसा निखरा नहीं । और ये जख्म तो भर जाते हैं अक्सर , पर कमबख्त इन यादों को मिटाना , मुझे आता नहीं ।। मनु की कलम से ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
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