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मानव मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता
Krishna ka kavya
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घूंट आंसू के, जो तुमने पी लिए ; वह यकीनन क्रांति ला सकती थी । ... ©Krishna ka kavya
11 Love
मैं जब भी लिखता हूं 'मां' तो दरअसल मैं व्याख्या कर रहा होता हूं ; अनवरत संघर्ष का , अदम्य साहस का , असीम स्नेह का ... ... ©Krishna ka kavya
10 Love
भाव थे असंख्य थे ; लेकिन मैंने उसे शब्द नहीं दे पा रहा। यह सोच कर कि शब्द ,भाव का भार वहन न कर सकेगी। मुझे प्रतीत हो रहा था ; कल हर बाते महज शब्द बनकर ही जायेगी । ... ©Krishna ka kavya
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