आखिर क्यों
आखिर क्यों हमें इस दुनिया में लाया,
आखिर क्यों मां, बहन, बेटी का रिश्ता बनाया,
हर पल डर कर रहना पड़ता है हमें,
क्या यह हमारी कमजोरी हैं या तुमने डराया हमें।
आखिर क्यों दरिंदों का शिकार बनते हैं हम,
आखिर क्यों जिंदा रहकर भी मरते हैं हम,
आखिर क्यों चुप रह कर भी हमें चुप रहना पड़ता है,
आखिर क्यों सब सहकर भी हमें सब सहना पड़ता है।
आखिर क्या गलती थी दामिनी और निर्भया की
जिसकी उन्हें इतनी बड़ी सजा दी,
क्यों पूजते हो हमें दुर्गा बनाकर,
आखिर क्यों हमें लक्ष्मी का रूप मानते हो,
क्या इसी दिन के लिए हमें एक लड़की होने का एहसास कराते हो।
मां ,पत्नी बन कर तुम्हारे लिए व्रत किया
बहन बेटी बन कर भी तुमसे बहुत प्यार किया ,
अब इससे ज्यादा क्या करूं ,
पूछती हूं बस एक सवाल,
आखिर क्यों, आखिर क्यों।
©Komal ki kavita
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