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Amar Nath Sharma

Amar Nath Sharma "Bechain"

क्या कहूँ कोई खास नहीं बस एक आदमी हूँ थोडा परेशान रहता हूँ पर निराश नही बस अल्फाजों से दोस्ती की है चुनौतियों मे जीवन जीया है कुछ अपने कुछ पराये दुख-दर्द ने बेचैन किया है जिन्दगी की एक पारी खत्म हो रही है आगे अंधेरा है मगर हाथों मे उम्मीद का दीया है सोचता बहुत हूँ मगर सोचने से क्या होता है चल पडा हूँ एक नई राह पर देखता हूँ आगे क्या होता है । Life is an adveture of uncertainty.

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