White यह रही अम्बिका प्रसाद नन्दन युवा कवि की कविता "हाँ मुझे याद है":
हाँ मुझे याद है!
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तू चलीं तो गईं, हाँ! मगर, याद है!
कभी तकते थे तेरी डगर, याद है!!
हमने कोशिश न की, याद रखूं तुम्हें!
दो कदम साथ तेरे सफर याद है!!
तेरे होने पे मेरी मधुर सी हँसी!
तेरे ना आने पे दिल की वो बेरुखी!!
रूठ कर मुझसे यूँ हीं मेरी जानेजां !
रहतीं बेचैन थीं किस कदर याद है!!
मेरी पावन,मधुर प्रीत तेरे लिए!
मेरी कविता, ग़ज़ल,गीत तेरे लिए !!
कोई गलती से भी छू ले मुझको यदि!
रोती बेचैन हो दर-ब-दर, याद है!!
तेरे होठों की वो एक मीठी छुअन!
सिहर ही उठा था मेरा तन बदन!!
नर्म नाजुक- सी बाहों से ऐ जानेमन!
पूरे कसके भी ढ़ीली पकड़ याद है!!
मुझसे मिलने की तेरी वो बेचैनियां!
एक अल्हड सी तेरी वो नादानियां!!
कभी लग कर गले,प्यार से बोलना!
"साथ छोड़ूं ना सारी उमर!" याद है!!
दूर हम से हो फिर भी नहीं दूरियां!
मिल न पाने की भी होंगी मजबूरियां!!
कुछ भी सोचे तू ,मुझको हो जाए पता!
रूह से रूह तक का सफर याद है!!
प्रेम है सृष्टि की एक पावन सृजन!
होता पावन इसी से है तन मन वचन!!
भूल देह आत्म से जब मिले आत्मा!
'नन्दन' प्राणों का ये सफर याद है!!
©AMBIKA PRASAD NANDAN
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