मेरा शहर हैं वो जो बसता हैं, सतलुज किनारे,
शिवालिक की घटाओं ने घेर के रखा है ,
जिसको चारो किनारों से,
ये,तपस्थली हैं ऋषि व्यास की, व्यासपुर हैं इसका प्राचीन नाम,
गोविंद सागर जैसा गौरव हैं इसमे,
भाखड़ा की तो बात अब भी वही हैं,
दुनियां शहर कहती हैं इसको,पर मेरे लिए गांव जैसा है वो,
ऊँचे दरख़्त, नीला निर्मल जल,गीत गाती कोयले बहुत सारी,
श्वेत हिम् की पोशाक में ,लिपटी हैं शिवालिक की पहाड़ियां,
हिमाचल का गौरव हैं ये ,
दुनिया की शौर में आज भी ये ,आज भी थोड़ा मौन हैं ये,
पर जन्नत जैसा सकूँन है यहाँ, जो मिलता नही और कहाँ,!
ये तो अपना बिलासपुर हैं प्रिये☺
ऊँची ऊंची चोटियों के सहारे चलता है जो,
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here