Divya Hariwanshi

Divya Hariwanshi

अज्ञेय ।

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Unsplash इसे यदि आनंद कहूं, इसका एक क्षण भी बर्बाद न करूं । इसे यदि मित्र कहूं, इसका साथ कभी न छोड़ूं। इसे यदि शौक कहूं , पूरा जीवन इसमें लगा दूं। ©Divya Hariwanshi

#Book  Unsplash इसे यदि आनंद कहूं,
इसका एक क्षण भी बर्बाद न करूं ।
इसे यदि मित्र कहूं,
इसका साथ कभी न छोड़ूं।
इसे यदि शौक कहूं ,
पूरा जीवन इसमें लगा दूं।

©Divya Hariwanshi

#Book poetry hindi poetry

15 Love

Unsplash बदल रहे ये पल कल में सभी। कुछ आनंद खूबसूरत यादें दे गया कभी । जिनकी हमें आवश्यकता नहीं अभी । कुछ आनंद ग़लत पथ बतलाता रहा कभी । जिस पथ पर चलते रहे सभी । भटक गए इस कदर कभी । भूल गए सब सपने सभी । कर दूं यदि इस आनंद का त्याग अभी । जिसने अपने वश में किया था कभी । क्या बह पल मिल पाएगा कभी । जिस के लिए इस पल का महत्व समझा अभी । ©Divya Hariwanshi

 Unsplash  बदल रहे ये पल कल में सभी।
कुछ आनंद खूबसूरत यादें दे गया कभी ।
जिनकी हमें आवश्यकता नहीं अभी ।
कुछ आनंद ग़लत पथ बतलाता रहा कभी ।
जिस पथ पर चलते रहे सभी ।
भटक गए इस कदर कभी ।
भूल गए सब सपने सभी ।
कर दूं यदि इस आनंद का त्याग अभी ।
जिसने अपने वश में किया था कभी ।
क्या बह पल मिल पाएगा कभी ।
जिस के लिए इस पल का महत्व समझा अभी ।

©Divya Hariwanshi

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16 Love

किसी ने तनाब में आकर नशे को अपनाया , किसी ने शौक के लिए इसे अपनाया । किसी का इसने जीवन छीना, किसी की इसने छीनी मंजिल । यह जानते हुए भी मनुष्य ने इसे गले लगाया । ©Divya Hariwanshi

#Quotes #smoke  किसी ने तनाब में आकर नशे को अपनाया ,
किसी ने शौक के लिए इसे अपनाया ।
किसी का इसने जीवन छीना,
किसी की इसने छीनी मंजिल ।
यह जानते हुए भी मनुष्य ने इसे गले लगाया ।

©Divya Hariwanshi

#smoke life quotes

12 Love

#Quotes

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मंजिल न जाने कितनी दूर है अभी, प्रभु तुमसे बस बिनती है यही, तुम बस रास्ता दिखाते रहना, बीच पथ में छोड़ मत जाना कहीं। ©Divya Hariwanshi

 मंजिल न जाने कितनी दूर है अभी,
प्रभु तुमसे बस बिनती है यही,
तुम बस रास्ता दिखाते रहना,
बीच पथ में छोड़ मत जाना कहीं।

©Divya Hariwanshi

life quotes in hindi

13 Love

स्वयं को बिना तलाशे, निकल पड़ी आनंद की तलाश में बह। मालूम था पथ मुसीबतों से भरा होगा , लेकिन पीछे मुड़कर न देखी बह । स्वयं से बिना आज्ञा लिए , निरन्तर चलती रही बह। स्वयं को टालती हुई , एक पल भी न रुकी बह। सोचती रही यह, आनन्द अभी होगा दूर बहुत। भटकी हुई बह, जब उसे आनंद की प्राप्ति न हुई, थककर हताश पड़ गई बह। उसी समय मन के भीतर से पुकार गूंजी, हताश पड़ी अपने भीतर तलाशने लगी बह। स्वयं को जब तलाशा उसने , आनंद को भी निकट पाया उसने । ©Divya Hariwanshi

 स्वयं को बिना तलाशे,
निकल पड़ी आनंद की तलाश में बह।
मालूम था पथ मुसीबतों से भरा होगा ,
लेकिन पीछे मुड़कर न देखी बह ।
स्वयं से बिना आज्ञा लिए ,
निरन्तर चलती रही बह।
स्वयं को टालती हुई ,
एक पल भी न रुकी बह।
सोचती रही यह,
आनन्द अभी होगा दूर बहुत।
भटकी हुई बह,
जब  उसे आनंद की प्राप्ति न हुई,
थककर हताश पड़ गई बह।
उसी समय मन के भीतर से पुकार गूंजी,
हताश पड़ी अपने भीतर तलाशने लगी बह।
स्वयं को जब तलाशा उसने ,
आनंद को भी निकट पाया उसने ।

©Divya Hariwanshi

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13 Love

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