अथाह सागर का किनारा,
मौजों की आती जाती रवानी है
हर लहर कुछ कहती है,
सुनो तो!!
हर मौज की धुन सुहानी है.
हर थपेड़ों में भीगता ये तन बदन
संदली रेत के भीतर,खिसकते ये कदम
कभी सूरज की रोशनी से,
कभी चांद की चांदनी से
तो कभी सितारों के अक्स से ,
हो जाता सारा जल मगन
ना जाने कितनी ही गहरी सागर की जुबानी है,
कुछ अनकही,कुछ अनसुनी सी,
सागर की भी अपनी एक कहानी है!!
©Maya Shetty
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