Sukoon
विरान सी गालियां थी .. पर अब लोग हज़ार है,
शहर के चौक पर लगा ये कैसा बाज़ार है,
पहले यहां एक छोटा कस्बा हुआ करता था, अब इमारतों का अंबार है,
लोग तो कई है यहां .. पर फिर भी सबकी आंखों में किसी अपने का इंतजार है,
कहने को तो सब कुछ है इस शहर में,
पर सुकून खरीदने आया .. ये कौन सा खरीददार है।
नितिन कुमार आनंद
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here