जिन्होने कितनी राते गुजार दी,
एक तुम्हारी खुशी के लिए,
वह माँ जो तुम्हारे मन पसंद का भोजन
बनकर खिलाती थी,
वह पिता जिसके कंधे पर तुम रोजाना,
उठकर बैठ जाते थे?
तुम्हारी हर ख्वाहिशे पूरी करने की
कोशिश की थी,
कभी??
वह क्यु आज बोझ से लग रहे हैं ! तुम्हे ?
हमनें अपने अंदर की कलाकार को पहचाना,
तेरी इन आँखो से दिखीं हुई हर बातों को लिखकर
हमनें इस सफ़र की जिंदगी को जाना ,
आने वाली हर चुनौती को सवीकार किया है।।
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here