"बेचैन"
बेचैन हू की आज उसका फोन नहीं आया ,
उसे याद कर के ना याद करने की कसमें तोड़ आया,
जब सब लोग खुशी के पल में मसगुर थे,
तो हम उसकी यादों में चूर में थे,
बेचैन हू की उसका फोन नहीं आया,
क्या वह भी तड़पी होगी जब मै तड़पा हूं तो,
उसकी यादों का कारवां उमड़ा था,
उसकी यादों का कारवां उमड़ा था दिल में,
भीगी सर्दी में भी वो गर्मी का एहसास करा गई,
ना हमने सोचा था ना उसने सोचा होगा,
की वो पल भी आएगा जब हम तो होंगे पर साथ ना होंगे,
सारे कसमें सभी वादे वो बाते अब सब झुटी लगती है,
वो मिलना साथ होना सब फरेब लगता है,
ना तो हम कभी साथ थे ना अब है,
अब बस ये मेरे मन का वहम लगता है,
हम क्यू सोचे जो साथ नहीं है मेरे,
हम क्यू याद करे जिसके सारे वादे थे झुटे,
अब तो बस एक उपज रह गई है मेरे मन की,
अब तो वो एक पहेली बन गई है,
क्या वह भी बेचैन हुई होगी, क्या उसने भी याद किया होगा,
बेचैन हू की आज उसका फोन नहीं आया।।
#praveenpathak diary
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