कितना कुछ छूटा है कितना कुछ अभी बाकी है तुम्हारी मेरी कहानी की किताब अभी आधी है, किताब के पन्नों पर जब भी जिक्र तुम्हारा छीड़ता है मेरे बिना उस पन्ने का अल्फाज अभी बाकी है,
तुम संग खुले आसमान में तारों को निहारना भी बाकी है तुम संग पानी की लहरों में बहक जाना अभी बाकी है,
मेरे कानों के पीछे से मेरे गर्दन से होती हुई तुम्हारे हाथों से मेरी जुल्फों को हटाना अभी बाकी है, घंटों बैठकर बिना कुछ कहे एक दूसरे को निहारना अभी बाकी है,
कितना कुछ छूटा है हमसफ़र तुम्हारे बिना कितना कुछ अभी बाकी है,
तुम्हारी गैरमौजूदगी में तुम्हारे एहसास का अंश अभी बाकी है कितना कुछ छूटा है मुझ में तुम्हारा हमसफर इन दूरियों में भी प्यार अभी बाकी है,
राह चलते हुए बस तुम्हें ही तलाशा है पर सचमुच में हाथों में हाथ होना अभी बाकी है,
कितना लंबा सफर तय किया है तुम्हारे बिना अब जो मिले हो सीने से लिपट कर रोना अभी बाकी है,
तन्हाई के उस लंबे सफर के बाद सीने से सिमटे हुए एक दूसरे की गर्म सांसों को महसूस करना अभी बाकी है,
कितना कुछ छूटा है हमसफ़र तुम्हारे बिना कितना कुछ अभी बाकी है,
मेरे सजते और सवरते हुए चुपके से मुझे तुम्हारा गले लगा लेना अभी बाकी है,
मेरी चूड़ियों की खनखन से तुम्हारा खुश हो जाना अभी बाकी है,
अपने हाथ से मेरी मांग में तुम्हारे नाम का सिंदूर भरना अभी बाकी है ,
कितना कुछ छुटा है हमसफ़र तुम्हारे बिना कितना कुछ होना अभी बाकी है,
तुम्हारा मेरे झुमको से खेलना अभी बाकी है मेरे माथे की बिंदी में तुम्हारा डूब जाना अभी बाकी है,
और तुम्हारा मेरी साड़ी के पल्लू को जमाने से लेकर तुम्हारी शर्ट की टूटी हुई बटन को लगाना मेरा बाकी है,
और तुम्हारे ऑफिस जाते-जाते तुम्हारे जमे हुए बालों को मेरा फिर से बिखरा देना अभी बाकी है सर्द मौसम में एक ब्लैंकेट में एक दूसरे के साथ दुबक जाना अभी बाकी है मेरी बदलती कोई करवाटो को देखकर तुम्हारा मुझे अपनी और खींच लेना अभी बाकी है,
कितना प्यारा होगा ना हमसफ़र यह सफर अभी बाकी है और यह पूरा होगा तुम संग मेरा यह सफर अभी बाकी है कितना कुछ छूटा है ना हमसफ़र कितना कुछ अभी बाकी है।
©sneha amrute
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