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ज्यादा कुछ नहीं जानता कुछ साल पहले ही दुनिया में आया हूं
White जख्मो से मेरे नमक रिसता जा रहा है ये मैंने ही भरे थे कभी किसी जिस्म में अब याद आ रहा है गिन गिन के हम भी थे कमीने किस किस्म के ©Bhupesh Pachori
Bhupesh Pachori
12 Love
White नदी ... तू धीरे-धीरे बहना आगे रास्ता बहुत कंटकिला है दिशाएं भी ... भरम से भरी हुई है बाजार ... बनाने में माहिर लोगों ने रास्ता ... मिट्टी से पाट रखा है तेरी कल कल सुनने का वक्त किसी के पास नहीं यहां सभी लगे हैं समंदर ... बनने की दौड़ में अपनी बच बचा ले इसी में तेरी सलामती है तू पहुंची नहीं की लुटेरे .... टेंडर लगा तेरा इंतजार कर रहे हैं तुझे बांध लेने की गरज में क्या मजा .... दूसरों की खुशामद में नाले सा बन जाना बस .... अपनी धुन में मगन अपनी शान खुद ही बन ए प्यारी नदी .... तू धीरे-धीरे बहना ©Bhupesh Pachori
15 Love
White कर्म और भाग्य तो बस झूले पर बैठे रहते हैं और हम बारी बारी झूले के घोड़े को बदलते रहते हैं और जिस पर बैठते हैं उसको उस समय सही मानते हैं बस झूला चलता रहता है और हमारी मान्यताएं बदलती रहती है ©Bhupesh Pachori
16 Love
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Sunday, 1 September | 07:02 pm
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