शीर्षक -मेरे पापा
का वर्णन करूं ऐसे कोई शब्द नहीं मेरे पास,
कितना ही वो डाटें-पीटें फिर भी नहीं कोई उनसे खास,
पापा के पास होने से ही, मनोबल भरपूर बढ़ता है,
राह की हर मुश्किल करेंगे दूर, होता है उन पर विश्वास।।
कई बार याद आती, पर आंखों से आंसू नहीं बहते,
आपकी रोक-टोक और प्रेम संग, आप सदैव दिल में रहते,
आप नहीं है अपने बच्चों के बीच, कभी नहीं होता विश्वास,
आपकी कोई सीख प्रतिदिन आती याद, जो घर में हैं कहते।।
हां निष्कपट थे आप कड़वे बोल भी हंसते-हंसते कह देते,
आए जो मुसीबत कभी घर पे तो हंसते-हंसते सह लेते,
घर की छोटी सी खुशियों को आप बड़ा बनाकर जी जाते,
देख मनोबल आपका दुख सारे उल्टे पांव ही बह जाते।।
पापा आपका एहसास आज भी एक शीतल सी भोर है,
बुरी संगत से बचा हमें सदैव लगाया सफलता की ओर है,
बस आशीष आपका रहे हम सब पर आजीवन,
आप पर तब भी हमारा जोर था और अभी भी हमारा जोर है।।
ललित भट्ट ✍️🙏
©Lalit Bhatt
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