Asif

Asif Lives in Jamshedpur, Jharkhand, India

"pee ke ghar matam chaye rang rasiya holi manaye"

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bachpan

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Saturday, 9 July | 08:30 pm

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पता नही, जिंदगी का वो लम्हा कैसे जिएंगे। जब उसके हाथ की पहली चाय पियेंगे। क्योंकि ख्यालों में जब वो पानी उबालती है, उसमे भी एक अजीब सी महक आती है। ख्वाबों में यूं रात से सुबह हो जाती है। ये महक न दिल से ना दिमाग से जाती है। ©Asif

#Tea  पता नही, जिंदगी का वो लम्हा कैसे जिएंगे।
जब उसके हाथ की पहली चाय पियेंगे।
क्योंकि ख्यालों में जब वो पानी उबालती है,
उसमे भी एक अजीब सी महक आती है।
ख्वाबों में यूं रात से सुबह हो जाती है।
ये महक न दिल से ना दिमाग से जाती है।

©Asif

#Tea

8 Love

एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। फिर रक़्श किए, कुछ धूल उड़ी और खाक हुए। ahmed ata ©Asif

 एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। 
फिर रक़्श किए, कुछ धूल उड़ी और खाक हुए।
ahmed ata

©Asif

एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। फिर रक़्श किए, कुछ धूल उड़ी और खाक हुए। ahmed ata ©Asif

11 Love

#parizaad #ishq #urdu

#urdu #parizaad #Nojoto #Love #ishq

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दूर कहीं इक लड़की है दरिया से भी गहरी है रंगों की दुनिया में घुल वो सपनों को लिखती है खुद को खोकर अक्सर वो खुद को ढूंढा करती है पार करे सागर कैसे उसकी कश्ती टूटी है सुनती क्यूं न किसी की भी कहती उसकी खामोशी खुद से बातें करती है प्यार की खातिर, सहरा बनकर फिरती है बातों से मिसरी घोले खट्टी मीठी इमली है भीतर से बिखरी बिखरी फिर भी हँसती रहती है कैसे उसको छू पाए उड़ती फिरती तितली है सजती न सँवरती फिर भी चश्मिश अच्छी लगती है. ©Asif

#ChildrensDay  दूर कहीं इक लड़की है दरिया से भी गहरी है

रंगों की दुनिया में घुल वो सपनों को लिखती है

खुद को खोकर अक्सर वो खुद को ढूंढा करती है

पार करे सागर कैसे उसकी कश्ती टूटी है

सुनती क्यूं न किसी की भी

कहती उसकी खामोशी खुद से बातें करती है

प्यार की खातिर, सहरा बनकर फिरती है

बातों से मिसरी घोले खट्टी मीठी इमली है

भीतर से बिखरी बिखरी फिर भी हँसती रहती है

कैसे उसको छू पाए उड़ती फिरती तितली है

सजती न सँवरती फिर भी चश्मिश अच्छी लगती है.

©Asif

saying of hazrat imam ali

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