मुलाकात
क्या खूब था तेरा मुझसे मिलना
पहली ही नजर में मेरे दिल का फिसलना
तेरी भीगी आंखें मायूस चेहरा
जिनमें छिपा राज कोई गहरा
और पहली ही मुलाकात में दिलो का जुड़ना
तुझे दुल्हन बनाने की सपने बुनना
क्या खूब था तेरा मुझसे मिलना
फिर दोस्त से तेरा जिक्र करना
तेरी खुद से ज्यादा फिक्र करना
और मेरे दोस्त तुझे भाभी कहकर बुलाना
तुझे निहारने को पलभर मेरा रास्ता भटक जाना
और बिना कुछ बोले तेरी मुस्कुराहट को निहारते रहना
तुझसे आंखों ही आंखों में बहुत कुछ कह देना
मेरा तुझे तंग करना तेरी मुझसे शिकायतें रहना
क्या खूब सुकून देता था तेरा फिर भी कुछ ना कहना
बड़ा सताता था मेरा तुझसे इजहार ना कर पाना
रोज सुबह 7:00 से शुरू होने वाली कोशिश होगा 2:00 बजे मर जाना
भले तुझसे मिलना बड़ा हसीन था
पर तुझे ना कह पाना भी गमगीन था
रोज तुझसे नहीं तेरी मुस्कुराहट से मिलता था मैं
और घर से स्कूल को बस तेरी खोज में निकलता था मैं
और एक रोज सब कुछ बदल गया
मेरा चांद मुझसे दूर निकल गया
पर नजरों की दूरियां कब तक चलती है
शिद्दत से चाहा तुझे फिर कैसे नहीं मिलती
फिर एक नया दौर आया
तुम मुड़कर फिर से मेरी ओर aaya
फिर मैंने ऑनलाइन इजहार किया
तूने प्यारा सा इनकार किया
और फिर हम दोनों की धड़कनों ने बगावत की
आखिर मेरी मोहब्बत ने मुझसे मोहब्बत की
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