खुद की तलाश में एक भटका हुआ पथिक "हाँ मैं करता हूँ कभी कभी दिलफटी शायरी भी पर मेरे को सुकून देती है कलम से निकली दिल को झकझोर देने वाली नारी पीडा जो खडी हो जाती है मेरे सामने कभी माँ,कभी बहन बेटी या प्रेयसी बन कर
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