ग़ज़ल:
मेरा दिलवर ही ,मार देगा मुझे
जब वो दिल से उतार देगा मुझे
उम्र बढ़ जाएगी , मेरी शायद
हाथ से जब , सँवार देगा मुझे
प्यार मैं गर , उतर गई गहरे
आके वो ही, उभार देगा मुझे
कोई शिकवा, रहेगा न बाक़ी
इस कदर, ऐतबार देगा मुझे
दौर में हूँ , अभी ख़िज़ाँ के मै
वो ही फ़स्ले ,बहार देगा मुझे
है यक़ीं एक दिन,पासआके वो
अपना भरपूर , प्यार देगा मुझे
डॉ . आशा सिंह सिकरवार 'जाफ़रान'
©Dr.asha Singh sikarwar
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