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आईना हूँ मैं आईना जैसी प्रेम की परिभाषा हूँ, संयम हूँ और प्रेम की पराकाष्ठा भी मैं ही हूँ...
New Year 2025 नटखट नयना करें इशारे, कह मन की बतिया । मनभावन मनमानी करते, जगा सकल रतिया ।। छेड़ चिढ़ाते और सताते, भाव प्रणय भरते । भरे माँग फिर चुम्बन देते, आलिंगन करते ।। उलझे केश सँवारे प्यारे, कन्धे ठोड़ी रखते । वक्ष लगा शीतलता पाएँ, निशि रस मृदु चखते ।। आत्म-आत्म जुड़ते तब उनसे, मधुर वचन बोलें । मृदु चुम्बन आलिंगन से ही, मिश्री मन घोलें ।। ©अनामिका वैश्य आईना
अनामिका वैश्य आईना
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