माँ का आशीर्वाद पैदा होते ही मां बाप के लिएजन्नत का
परवाना लिए चलती है
वो अपने आप में जमाना लिए चलती है
कभी बेटी कभी बीवी तो कभी मां बन के चलती है
वो औरत है "अबरार" जो सबको साथ लिए चलती है
#OpenPoetry गिरी गिरी के चलना सिखाता है वक्त
हर हाल में जीना सिखाता है वक्त
कभी आसमां पर बिठाकर
तो कभी जमीन पर गिरा के
तुम्हें अपनी औकात दिखाता है वक्त
ना उड़ाओ यू परिंदों की तरह आसमानों में
शाम होते ही परिंदों को घोसले में लाता है वक्त
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